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कुत्‍तों के आगे पस्‍त हुआ निगम, कई योजनाएं ठंडे बस्ते में

stray-dogsकोरबा. छत्तीसगढ़ रात होने के बाद कोरबा के सभी वार्डों में आवारा कुत्तों का राज शुरू हो जाता है. जैसे-जैसे रात गहराती जाती है, वैसे-वैसे कुत्तों का आतंक बढ़ता जाता है.

रात में पैदल, साइकिल या मोटर साइकिल में गुजर रहे लोगों को देखकर कुत्तों का भौंकना और झुंड के साथ दौड़ना रोज की बात है. ऐसे में कुत्तों का झुंड शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. वर्षों से स्वान नियंत्रण को लेकर निगम योजना तैयार कर रहा है, लेकिन अब तक कुत्‍तों से निपटने में निगम कामयाब नहीं हो पाया है.

अकेले गुजरना खतरे से खाली नहीं

शहर के हर वार्ड में कुत्तों का झुंड देखा जा सकता है. आमतौर पर कुत्ते रात में अकेले लोग को देखकर आक्रमक होते हैं. जिले के आईटीआई चौक, कोसाबाड़ी, जिला अस्पताल मार्ग, रिस्दी चौक, निहारिका, बुधवारी चौक, मुड़ापार, वीआईपी मार्ग, टीपी नगर मार्ग, पावर हाऊस रोड, पुरानी बस्ती, इंडस्ट्रियल एरिया सहित कई ऐसे स्थान है, जहां से होकर रात में अकेले गुजरना खतरे से खाली नहीं है.

इन स्थानों पर झुंड में बैठे कुत्ते अकेले लोगों को रात में देखते ही भौंकने लगते हैं. यदि रास्ते से गुजर रहा व्यक्ति भागने की कोशिश करे तो उसे कुत्ते दौड़ाने लग जाते हैं. खूंखार कुत्तों से निपटने नगर निगम, प्रशासन और नागरिक कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. खूंखार कुत्तों से निपटने कोई कारगार योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है.

नसबंदी योजना फेल

आवारा कुत्तों के नसबंदी के लिए नगर निगम ने नसबंदी योजना तैयार की थी, लेकिन नसबंदी की योजना फेल हो गई. टेंडर निकलने के बाद भी योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका. संबंधित एजेंसियों ने ऐन वक्त पर हाथ खींच लिए, जिसके कारण नसबंदी योजना फेल हो गई.

ठंड में खतरा ज्यादा

ठंड के दिनों में कुत्तों की संख्या बढ़ जाती है. इस कारण इस मौसम में आवारा कुत्तों का खतरा ज्यादा होता है. संख्या बढ़ने के कारण रात के सन्नाटे में ये आवारा कुत्ते और अधिक खतरनाक हो जाते हैं. कुत्तों के छोटे-छोटे बच्चे भी लोगों के लिए खतरे का सबब बन जाते हैं.

उप नगरीय क्षेत्रों में भी समस्या

शहर में ही नहीं नगर निगम के उप नगरीय क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की समस्या कोई कम नहीं है. बांकीमोंगरा, कुसमुंडा, बल्गी, एनटीपीसी, दर्री, बालको में आवारा कुत्तों से आम नागरिक परेशान है. खासकर रात के समय सड़कों से होकर गुजरने वाले लोगों को अधिक समस्या हो रही है.

नंदी-स्वान योजना भी फेल

आवारा कुत्तों व सड़कों पर विचरण करने वाले मवेशियों के लिए नंदी-स्वान योजना तैयार की गई थी. यह योजना भी फाइलों में सिमट कर रह गई. यही कारण है कि शहर की सड़कों पर आवारा कुत्तों का आतंक है और आवारा मवेशियों के कारण जाम की स्थिति के साथ-साथ सड़क हादसे हो रहे हैं.

 

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