कुदरत की खूबसूरती का मंदिर है “पचमढ़ी”
छुट्टियां आते ही कहीं घूमने जाने का ख्याल सबसे पहले आता है। इसलिए आज हम आपको बताते है मध्यप्रदेश का स्वर्ग कहे जाने वाले पचमढ़ी के बारे में। पचमढ़ी उन पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां बेहद शान्त माहौल में भीड़-भाड़ से दूर आप सुकून के कुछ पल बिता सकते हैं। यहां का मौसम और माहौल दिल को ताजगी से भर देने के लिए काफी है।
म.प्र. के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी समुद्र तल से 1067 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में यहां का तापमान 4.5 डिग्री और गर्मियों में अधिकतम 35 डिग्री होता है। यह मध्यप्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है। यहां की विशेषता है कि आप यहां वर्ष भर किसी भी मौसम में जा सकते हैं।
सतपुड़ा पहाड़ों के बीच स्थित होने से और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे “सतपुड़ा की रानी” भी कहा जाता है। यहां बसे घने जंगल, मदमाते जलप्रपात, पवित्र निर्मल तालाब और भी आकर्षक स्थल हैं। यहां की गुफाएं पुरातात्विक महत्व रखती हैं. यहां गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं। यहां की प्राकृतिक संपदा को पचमढ़ी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संजोया गया है। यहाँ पांडवों की गुफाएं होने के कारण इसे “पचमढ़ी” कहते हैं.
मध्य प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पचमढी सर्वाधिक लोकप्रिय है। राज्य की राजधानी भोपाल से 200 किलोमीटर दूर और विभिन्न हिल स्टेशनों से अलहदा इस स्थान पर प्राकृतिक खूबसूरती तो कदम-कदम पर बिखरी हुई है ही, बाकी जगहों की तुलना में यह है भी शान्त और साफ-सुथरा। पूरे सालभर यहां मौसम सुहावना रहता है। अनेक दर्शनीय स्थल, वनस्पतियां और वन्य प्राणी यहां की धरोहर हैं
पचमढ़ी इसलिये भी एक महत्वपूर्ण पहाड़ी स्थल है कि आज भी यहां व्यावसायिक गतिविधियां नगण्य हैं। न कोई शहरी ताना-बाना और न ही कोई तनाव। इस इलाके के मूल निवासी आदिवासी हैं। अत्यधिक कम जनसंख्या वाले इस क्षेत्र में कभी-कभी दूर-दूर कोई मानवीय हलचल दिखाई नहीं देती। केवल शहर में गतिविधियां होती नजर आ रही हैं। चूंकि सारा क्षेत्र सैनिक छावनी के अन्तर्गत आता है, इसलिये यहां जमीन-जायदाद की खरीद-फरोख्त नहीं होती। थलसेना की शिक्षा शाखा आर्मी एजुकेशन कोर का मुख्यालय यहां है। इस क्षेत्र में घूमने के लिए आप पचमढ़ी से जीप या स्कूटर भी ले सकते हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया जिसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किमी. है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां दिन या रात में रुकने के लिए आपको उद्यान के निदेशक से अनुमति लेना पड़ती है। इसके अलावा यहां कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं।
क्या घूमें…….
जटाशंकर : यह एक पवित्र गुफा है जो पचमढ़ी कस्बे से 1.5 किमी. दूरी पर है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको कुछ दूर तक पैदल चलने का आनंद उठाना पड़ेगा। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। यहां एक ही चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी एक मंदिर में स्थित है। पास ही में हार्पर की गुफा भी है।
पांडव गुफा : महाभारत काल की पांच गुफाएं यहां हैं जिनमें ‘द्रौपदी कोठरी’ और ‘भीम कोठरी’ प्रमुख हैं।
अप्सरा विहार : पांडव गुफा से आगे चलने पर 30 फीट गहरा एक ताल है, जिसमें नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है। इसमें एक झरना आकर गिरता है।
रजत प्रपात : यह अप्सरा विहार से आधा किमी. की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊंचाई से गिरता इसका जल एकदम दूधिया चांदी की तरह दिखाई पड़ता है।
राजेंद्र गिरि : इस पहाड़ी का नाम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद यहां आकर रुके थे। उनके लिए यहां रविशंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है।
हांडी खोह : यह खाई पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढंकी है और यहां कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के घनेपन के कारण जल दिखाई नहीं देता।
पौराणिक संदर्भ कहते हैं कि भगवान शिव ने यहां एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे “अंधी खोह” भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है। यहां बने रेलिंग प्लेटफार्म पर से आप घाटी का नजारा ले सकते हैं।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट : इस जगह से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही लुभावना लगता है। तीन पहाड़ी शिखर बाईं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दाईं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। धूपगढ़ यहां की सबसे ऊंची चोटी है।
बी फॉल : यह जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यहां से 3 किमी. की दूरी पर स्थित है। मित्रों और रिश्तेदारों के साथ पिकनिक मनाने के लिए यह एक अच्छी जगह है। इसके अलावा यहां महादेव, चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
ये भी देखें :
भेड़ा घाट में पहाड़ों के बीच से नर्मदा नदी को बहते हुए देखा जा सकता है। भेड़ा घाट से साढ़े तीन किलोमीटर तक नर्मदा सफेद संगमरमर की चट्टानों के बीच से गुजरती है। इसके दोनों तरफ सौ फुट से भी ऊंची संगमरमर की चट्टानें हैं। यहां आप बोटिंग का लुत्फ ले सकते हैं। चांदनी रात में इस नजारे की खूबसूरती को लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता।
पचमढ़ी में पर्यटकों का वर्ष भर आना-जाना लगा रहता है। दर्शनीय स्थानों को घूमने के अलावा पर्यटक यहां आदिवासियों द्वारा अपने कुटीर उद्योगों में बनाई गई वस्तुएं और जंगलों से लाई गई शिलाजीत, जडी-बूटियां और शहद खरीदते हैं।
कहां ठहरें :
पचमढ़ी में मध्य प्रदेश पर्यटन के सात होटल हैं जिनमें 890 रुपये से लेकर 4190 रुपये तक के कमरे आपको मिल जायेंगे। हर होटल एक से बढकर एक खूबसूरत लोकेशन पर है। जहां आप आराम से शाही ठाठ के साथ रुक सकते हैं।
सड़क मार्ग- नियमित बस सेवा से पचमढ़ी भोपाल, इंदौर, नागपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से सीधा जुड़ा है। वहीं भोपाल से पचमढी सडक द्वारा 200 किलोमीटर दूर है। आसपास घूमने के लिये भी जीपें मिल जाती हैं।
रेलमार्ग- मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर इटारसी होते हुए पिपरिया स्टेशन सबसे करीब है। पिपरिया से पचमढी लगभग 53 किलोमीटर है। पिपरिया से पचमढी के लिये जीपें चलती हैं।
हवाई मार्ग- भोपाल सबसे निकट का हवाई अड्डा है। जो दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर, मुंबई, रायपुर और जबलपुर से जुड़ा है।
कब जाएं :
पचमढ़ी जाने के लिए हर मौसम अच्छा है। गमिर्यों में यहां का मौसम सुहाना होता है। यहां 15 दिसंबर से 15 जनवरी पचमढ़ी फेस्टिवल में भी लोगों की काफी भीड़ होती है।