अद्धयात्मदस्तक-विशेष

कुम्भ की प्रमुख तिथियां जिनमें लगेगी आस्था की डुबकी

वैदिक मंत्र और धूप-दीप की सुगंध से पूरा प्रयागराज महक उठा है। जिसमें आध्यात्मिकता के साथ-साथ भौतिकतावादी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन शैली की भी झलक देखने को मिल रही है। कुछ विदेशी सैलानियों के साथ-साथ धनाढ्य भारतियों के लिये लग्जरी फाइव स्टार कॉटजेस का इन्तजाम किया गया। जिनके शयन कक्षों और स्नान घरों की आभा देखते ही बनती है। हालांकि कुम्भ में भूमि पर शयन करने और भौतिकता वादी जीवन शैली का त्याग ही कल्पवास माना जाता है। किन्तु कुछ चुनिंदा धनाढ्य लोगों के द्वारा इस भौतिकवादी परंपरा को और बढ़ावा दिया जा रहा है। जो कुम्भ की मौलिक मनुष्य की चेतना उत्थान के मार्ग में बाधक ही है। किन्तु आम लोगों को यह सब व्यवस्थायें बहुत आकर्षित करती हैं।

1- मकर संकांति:-14 एवं 15 जनवरी 2019 सोमवार एवं मंगलवार
2- पौष पूर्णिमा:- 21 जनवरी 2019 सोमवार
3- पौष एकादशी स्नान:- 31 जनवरी 2019 गुरुवार
4- मौनी अमावस्या:- 4 फरवरी 2019 सोमवार
5- बसंत पंचमी:- 10 फरवरी 2019 रविवार
6- माघी एकादशी:- 16 फरवरी 2019 शनिवार
7- माघी पूर्णिमा:- 19 फरवरी 2019 मंगलवार
8- महाशिवरात्रि:- 04 मार्च 2019 सोमवार

कुम्भ मेले के भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचेंगे। प्रयागराज में आस्था का ऐसा संगम लगने जा रहा है जिसे देखने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि सात समंदर पार से सैलानी भी आयेगें। रोशनी से नहाई हुई पंडालों की नगरी और घंटा-घड़ियालों के साथ गूंजते वैदिक मंत्र और धूप-दीप की सुगंध से पूरा प्रयागराज महक उठा है। जिसमें आध्यात्मिकता के साथ-साथ भौतिकतावादी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन शैली की भी झलक देखने को मिल रही है। कुछ विदेशी सैलानियों के साथ-साथ धनाढ्य भारतियों के लिये लग्जरी फाइव स्टार कॉटजेस का इन्तजाम किया गया। जिनके शयन कक्षों और स्नान घरों की आभा देखते ही बनती है। हालांकि कुम्भ में भूमि पर शयन और भौतिकता वादी जीवन शैली का त्याग ही कल्पवास माना जाता है। किन्तु कुछ चुनिंदा धनाढ्य लोगों के द्वारा इस भौतिकवादी परंपरा को और बढ़ावा दिया जा रहा है। जो कुम्भ की मौलिक मनुष्य की चेतना उत्थान के मार्ग में बाधक ही है। किन्तु आम लोगों को यह सब व्यवस्थायें बहुत आकर्षित करती हैं। आस्था के इस महामेले में कुछ खास तिथियों पर शाही स्नान और अन्य तमाम आयोजन होंगे। भव्य पंडाल, भंडारे, धार्मिक अनुष्ठान कुम्भ मेले में होंगे और ऐसा धार्मिक-आध्यामिक अनुभव शायद ही धरती पर कहीं देखने को मिले। प्रयागराज में कुम्भ 15 जनवरी 2019 से शुरू होकर 4 मार्च 2019 तक चलेगा। कुम्भ में 8 प्रमुख स्नान तिथियां पड़ेंगी। जो श्रद्धालु कुम्भ में स्नान करने से वंचित रह जाते हैं, उन्हें माघ मास में पवित्र कुंड में स्नान करने का अवसर प्राप्त होता है एक राशि में बृहस्पति को दोबारा आने में 12 साल लगते हैं।


इसलिए कुम्भ 12 साल बाद मनाया जाता है। लेकिन धर्माचार्यों ने अद्र्धकुम्भ की भी व्यवस्था दो स्थानों पर की है, हरिद्वार और प्रयागराज में पर की है। माना यह जाता है कि इन मुहूर्तों में जब आप कुम्भ में स्नान करते हैं तो एक अतिरिक्त ऊर्जा सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति से इन नदियों में गिरती है। इसलिए कुम्भ में स्नान और दर्शन अवश्य करना चाहिए। यदि आप कुम्भ में स्नान करने की स्थिति में नहीं हैं तो माघ मास में नियमित रूप से पवित्र सरोवर में स्नान करें। तिल, ऊनी वस्त्र का दान करें। पद्म पुराण में यहां तक कहा गया कि माघ मास में अद्र्धकुम्भ में स्नान करने से ऋणात्मक ऊर्जा का क्षय होता है। यही कारण है कि माघ के महीने में कायाकल्प के लिए स्नान करते हैं। कुम्भ का आयोजन तो सदियों पूर्व से हो रहा है। वर्ष 2012-13 में प्रयागराज में पूर्ण कुम्भ हुआ था। अगला पूर्ण कुम्भ प्रयागराज में वर्ष 2025 में पड़ेगा।

मकर संक्रांति
कुंभ की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन पहले स्नान से होगी। इसे शाही स्नान और राजयोगी स्नान के नाम से भी जानते हैं। इस दिन संगम, प्रयागराज पर विभिन्न अखाड़ों के संत की पहले शोभा यात्रा निकलते हैं फिर शाही स्नान का आयोजन होता है। मकर संक्रांति पर सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होता है। इस दिन स्नान के बाद सूर्य को जल देकर चावल और तिल को स्पर्श कर उसे दान में दिया जाता है। इस दिन कहीं उरद दाल की खिचड़ी या दही-चूड़ा खाना जरूरी होता है।

पौष पूर्णिमा
पौष पूर्णिमा 21 जनवरी को है और इस दिन कुम्भ में दूसरा बड़ा आयोजन होगा। पौष पूर्णिमा के दिन से ही माघ महीने की शुरुआत होती है। कहा जाता है आज के दिन स्नान ध्यान के बाद दान पुण्य करेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। वहीं, इस दिन संगम पर सुबह स्नान के बाद कुम्भ की अनौपचारिक शुरुआत हो जाती है। इस दिन से कल्पवास भी आरंभ हो जाता है।

पौष एकादशी
पौष एकादशी को कुम्भ में तीसरा बड़े शाही स्नान का आयोजन होगा। 31 जनवरी को स्नान के बाद दान पुण्य किया जाता है।

मौनी अमावस्या
कुम्भ मेले में चौथा शाही स्नान मौनी अमावस्या यानि 4 फरवरी को होगा। इसी दिन कुम्भ के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था। इसलिये मौनी अमावस्या के दिन कुम्भ मेले में बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

बसंत पंचमी
10 फरवरी को बसंत पंचमी यानि माघ महीने की पंचमी तिथि को मनाई जायेगी। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु शुरू हो जाती है। कड़कड़ाती ठंड के सुस्त मौसम के बाद बसंत पंचमी से ही प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। इस दिन पवित्र संगम में स्नान का विशेष महत्व है।

माघी एकादशी
16 फरवरी को सातवां शाही स्नान माघी एकादशी को होगा। इसदिन का पुराणों में विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान कई पापों का क्षय करता है।

माघी पूर्णिमा
19 फरवरी को छठां शाही स्नान माघी पूर्णिमा को होगा। माघ पूर्णिमा पर किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का फल मिलता है।

महाशिवरात्रि
कुंभ मेले का आखिरी शाही स्नान 4 मार्च को महा शिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन सभी कल्पवासी अंतिम स्नान कर अपने घरों को लौट जाते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती के इस पावन पर्व पर कुम्भ में आए सभी भक्त संगम में डुबकी जरूर लगाते हैं। मान्यता है कि इस पर्व का देवलोक में भी इंतजार रहता है।

  • सोने लाल वर्मा 

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