उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिजवी ने कुरआन से 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से खारिज की गई याचिका पर पुनर्विचार की अर्जी दाखिल की है. साथ ही खुद पर लगे 50 हजार के जुर्माने को भी माफ करने की गुहार लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने वसीम रिजवी की याचिका इस साल 12 अप्रैल को खारिज कर दी थी. रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए 50 हजार रुपये जुर्माना भी माफ करने की गुजारिश की है. इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी. इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि कुरआन पाक की छब्बीस आयतों से देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को खतरा है. इनको पवित्र किताब से हटा दिया जाए. साथ ही कहा गया कि इन आयतों को पढ़ाकर छात्रों को इससे मिसगाइड किया जाता है.
कुरआन पाक की 26 आयतों को क्षेपक यानी बाद में जोड़ी गई आयतें बताते हुए उनको पवित्र किताब से हटाने का आदेश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. तब याचिका लगाने वाले सैयद वसीम रिजवी ने याचिका के बारे में कहा था कि इतिहास गवाह है कि हजरत मोहम्मद साहब के निधन के बाद पहले खलीफा हजरत अबू बकर ने उन 4 लोगों को पैगंबर हजरत मोहम्मद पर नाज़िल अल्लाह पाक के मौखिक संदेशों को किताब की शक्ल में संग्रहित करने को कहा. तब तक हजरत के मुख से समय-समय पर निकले संदेशों को लोग पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक तौर पर ही याद करते कराते रहे.
वसीम रिजवी की इस याचिका को लेकर तब काफी विवाद हुआ था. कई मुस्लिम संगठनों ने उनका विरोध किया था. रिजवी के परिवार के लोग भी उनके खिलाफ हो गए थे. रिजवी की मां और भाई ने उनसे अपना नाता तोड़ लिया.