कुलपतियों के सम्मलेन में भी नहीं हो सका छात्रसंघ चुनाव मामले पर कोई निर्णय
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राज्यपाल रामनाईक, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा तथा 31 कुलपतियों की उपस्थिति में आयोजित राज्य विश्वविद्यालय कुलपति सम्मलेन में भी अनेक मुद्दों पर चर्चा के बावजूद छात्र संघ चुनाव मामले पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। हालांकि इस मुद्दे पर चर्चा भी हुयी परन्तु नतीजा फिर वही ‘ढाक के तीन पात’ ही रहा, पिछली सरकारों की तरह इस सरकार द्वारा भी इस मामले पर कोई निर्णय लेने की पहल न किये जाने से यह मामला फिलहाल अधर में लटका ही दिख रहा है। कुलपति सम्मलेन के बाद इस मामले से सम्बन्धित प्रश्न का उत्तर देते हुए उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश के माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस सम्बन्ध में सुझाव मांगे गए थे, उन्होंने अपने सुझाव दे दिए हैं। अब सरकार और शासन के स्तर पर इन सुझावों को अमल में लाने पर विचार होगा। फिलहाल इस वर्ष ये छात्रसंघ चुनाव होने की संभावना नहीं है। कार्यक्रम को अत्यंत सफल आयोजन करार दिया इससे पहले सम्मलेन के बारे में अन्य बिंदुओं पर हुयी चर्चा का जिक्र करते हुए डॉ दिनेश शर्मा ने कार्यक्रम को अत्यंत सफल आयोजन करार दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि, शिक्षा में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देना, परीक्षा प्रणाली में सुधार, आदि विषयों पर सकारात्मक चर्चा के लिए यह आयोजन किया गया। आयोजन में अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं के साथ उच्च शिक्षा में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले पर भी चर्चा हुयी। उच्च शिक्षा में कंप्यूटर लैब तथा ई-लाइब्रेरी को आवश्यक करने पर भी चर्चा हुयी। विश्वविद्यालय स्तर पर शोध को प्रोत्साहित करने, स्किल डेवलेपमेन्ट के कोर्सेज को उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने, तथा परीक्षा प्रणाली को कम्प्यूटरीकृत करने, क्षेत्रीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं को कोर्सेज में शामिल करने आदि पर भी बात हुयी। विश्वविद्यालयों में एक एडवाइजरी बोर्ड गठित करने, शिक्षकों की अवकाश प्राप्ति की आयु को 65 वर्ष करने, तथा विश्वविद्यालयों द्वारा अपने स्तर पर ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का चयन करने के सम्बन्ध में शासन से अनुरोध करने की बात पर भी आज चर्चा हुयी। कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये अथवा कौशल विकास के तमाम पाठ्यक्रम विश्वविद्यालयों के कोर्सेज के साथ पढ़ाये जाएं इस पर भी चार्चा हुयी।
वाणिज्यकर विभाग के सामंजस्य से प्रत्येक विश्वविद्यालय अपने यहां जीएसटी पर एक कार्यक्रम करे यह भी तय हुआ। अध्यापकों को अन्य (जनगणना आदि) कार्यों में न लगाकर उसे प्रसन्न मन से शिक्षण में ही कार्यरत रहने दिया जाये इसके लिए सारी आवश्यक व्यवस्था करने पर भी सकारात्मक चर्चा हुयी। नक़ल विहीन परीक्षा हो इसके लिए माध्यमिक और उच्च शिक्षा दोनों में आवश्यकता अनुसार व्यवस्था करने, तथा शिक्षको को ऑनलाइन रिक्त पदों के लिए आवेदन करने की कम्प्यूटरीकृत व्यवस्था करने, उत्तर प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने तथा अध्यापकों शिक्षकों की कमी को पूरा करने एवं शिक्षा में अतिरिक्त शुल्क को नियंत्रित करने के मुद्दे पर भी चर्चा हुयी। शिक्षकों के आवासीय भत्तों में 20 प्रतिशत तक वृद्धि करने का आदेश जारी हो चुका है, अब शिक्षकों को चिकत्सा सुविधाओं के लिए भत्ता देने का मामला भी चर्चा में आया है, आज लगभग इस मामले पर आम सहमति बनगयी है, फिलहाल विश्वविद्यालय अपने संसाधनों से यह व्यवस्था करने पर विचार कर सकते हैं। सम्मेलन के लिये राज्यपाल ने भी दिया पूरा समय राज्यपाल महोदय ने भी पूरा समय इस सम्मेलन के लिये दिया। राज्य विश्वविद्यालय के लगभग सभी कुलपति जिनको आमंत्रित किया गया था इस आयोजन में उपस्थित रहे। इनकी संख्या 31 रही। अन्त में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि इस प्रकार से इतने मुद्दों पर एकसाथ चर्चा तथा सहमति की दृष्टि से यह सम्मेलन अत्यन्त सफल आयोजन रहा।