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कृषि को छोड़ कई क्षेत्रों में मध्य प्रदेश पीछे

भोपाल: नीति आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार को आईना दिखाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ने कृषि क्षेत्र में भले ही विकास किया हो, लेकिन अन्य क्षेत्रों में प्रदेश राष्ट्रीय औसत से भी पीछे है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश को पंजाब मत बनाईए। यह अच्छी बात है कि प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है, लेकिन एक समय के बाद यह विकास रूक जाएगा। नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेशचन्द्र ने यह बात कल सोमवार को राज्य मंत्रालय में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में कही। प्रो.रमेशचन्द्र ने कहा कि मध्यप्रदेश उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़कों के क्षेत्र में अन्य राज्यों की अपेक्षा पिछड़ा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यदि दीर्घकालिन विकास करना है तो उसे इन क्षेत्रों में भी बेहतर कार्य करें। उन्होंने अपने प्रजेंटेशन में विकास के विभिन्न मापदण्डों में मध्यप्रदेश की स्थिति को बताते हुए कहा कि कुपोषण एवं शिशु मृत्यु दर में भी मध्यप्रदेश बेहतर काम नहीं कर पा रहा है। बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों में मिलने वाले भोजन की पौष्टिक तत्वों की अनुपलब्धता, अस्पतालों की खराब व दयनीय स्थिति तथा मिड-डे मिल का सही ढंग से वितरण नहीं हो पाने के कारण प्रदेश में कुपोषण कम नहीं हो पा रहा है।
नीति आयोग के अधिकारियों ने अपने प्रजेंटेशन के दौरान बताया कि मध्यप्रदेश मेें शिक्षा का स्तर ऐसा है कि कक्षा पांचवी के बच्चों को अक्षरों की पहचान नहीं है। स्कूल छोडऩे वाले बच्चों की संख्या अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है। पीने के पानी की सप्लाई के मामले में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात जैसे राज्यों से भी पीछे है। जबकि गुजरात में 95 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 53 प्रतिशत घरों में पीने के पानी की सप्लाई हो रही है। हालांकि नीति आयोग के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश सरकार की भावांतर योजना की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने यह योजना फुल प्रुफ बनाई है। इस योजना के लांच होने के बाद गुजरात, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, तेलांगना, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, कर्नाटक और बिहार सरकार ने इससे जुड़ी जानकारी मांगी है। धीरे-धीरे यह पूरे देश में लागू होगी। बैठक में बताया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी पर खाद्यान्न देने की बजाय अब सब्सिडी लोगों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी। भारतीय खाद्य निगम सिर्फ विपरीत परिस्थितियों के लिए स्टॉक रखने का काम करेगा। इसके बाद गेहूं-चांवल को भी भावांतर योजना में शामिल किया जाएगा।

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