केंद्रीय मंत्री उमा भारती: सूखे के लिए पहले से कोई प्लानिंग का मतलब नहीं
नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने देश में सूखे की हालत पर केंद्र द्वारा देर से कदम उठाए जाने के आरोपों का पुरजोर तरीके से खंडन किया है। उन्होंने कहा कि इतिहास में संभवत: पहली बार पानी के संकट से निपटने के लिए वॉटर ट्रेनें भेजी गई हैं। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि सरकारी नियमों के मुताबिक तो वॉटर ट्रेनों और टैंकरों का इस्तेमाल अंतिम उपाय होता है, उमा भारती ने कहा कि सूखा एक ऐसी अवधारणा है, जिसके लिए पहले से किसी तैयारी का कोई मतलब नहीं होता।
सूखे के लिए तात्कालिक कदम जरूरी
उमा भारती ने कहा, पिछले साल पूर्वानुमान के विपरीत बारिश हुई थी। उमा ने कहा कि सूखे जैसी हालत के लिए तात्कालिक कदम उठाने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि 2015 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान 14 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई और यह साल 2009 के बाद सबसे बुरी स्थिति थी। हालांकि मॉनसून के आखिरी दौर में बारिश में तेजी आई, लेकिन इसके बावजूद देश के 40 फीसदी हिस्सों में बारिश कम रही, खासकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों, महाराष्ट्र और ओडिशा में।
‘राज्य सरकारों को हरसंभव मदद दे रहे हैं’
उमा ने कहा कि पानी राज्य का विषय है, लेकिन उन्होंने सूखा प्रभावित राज्यों का दौरा किया है और राज्य सरकारों से जल संकट से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हम सबको कहा है कि राज्य सरकारों को हरसंभव मदद दी जाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सूखे के हालात के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस-एनसीपी सरकार की सिंचाई योजनाओं में भ्रष्टाचार को भी जिम्मेदार ठहाराया।