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सरकार से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, एक सांसद को दस सीट का कोटा (सिर्फ दस छात्रों को दाखिले की सिफारिश कर सकता है)हासिल है, लेकिन असल में कई सांसद दर्जनों दाखिले कोटस्त्रे के नाम थपर करवाने की सिफारिश करते हैं।
वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्री के कोटे से भी विधायक, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेता, अधिकारी समेत अन्य दाखिला करवाने की सिफारिश करते हैं। सरकार का मानना है कि इस कोटे के चलते योग्य छात्रों को दाखिला नहीं मिल पाता है।
क्योंकि खाली सीट तो कोटे के चलते ही भर जाती हैं। योग्य छात्रों के साथ किसी प्रकार का कोई अन्याय न हो, इसलिए एमपी और मरनिस्टर कोटा खत्म होना चाहिए। अधिकारी का कहना है कि केवी में दाखिला पूरी तरह ऑनलाइन होगजा। यदि कहीं आवेदन संख्या अधिक और सीट कम होंगी तो वहां इलेक्ट्रानिक लाटरी सिस्टम प्रयोग किया जाएगा। ताकि किसी भी छात्र के साथ अन्याय न हो।
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इसके अलावा सांसदों को सुझाव दिया जाएगा कि यदि वे छात्रों को केवी में ही पढ़ाने में इच्छुक हैं तो फिर मंत्रालय नए केवी खोलने के लिए तैयार है। इसके लिए संबंधित राज्य में वे जमीन के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया करवाने में मदद करें।
प्रकाश जावडेकर ने सांसदों से ले रखी है राय
सूत्रों के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस मुद्दे पर विभिन्न सांसदों से बात करने के साथ उनकी राय भी मांगी थी। करीब पचास फीसदी से अधिक सांसदों ने जावडेकर को बताया है कि इस कोटे के दाखिले के चलते सैकड़ों लोग नाराज होकर जाते हैं। क्योंकि जितनी सिफारिश आती है, उतने छात्रों को दाखिला दिलवाना उनकेहाथ में नहीं है, इसके चलते उनका वोट बैंक भी खराब होता है।