केंद्र की महत्वकांक्षी योजनाः एक रुपये प्रतिदिन के खर्च पर हर घर को मिलेगा जल…
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय में शामिल ‘हर घर नल का जल’ योजना की तर्ज पर केंद्र सरकार ने भी प्रस्ताव तैयार किया है। जल शक्ति मंत्रालय के तहत सोमवार को आधिकारिक तौर पर यह प्रस्ताव लाया गया। इसके तहत विचार किया जा रहा है कि पाइप से जलापूर्ति के लिए योजना के लाभुकों पर शुल्क लगाया जाए। सूत्रों का कहना है कि पानी की सप्लाई में मुनाफे को सबसे ऊपर रखा जाता है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए उपयोगकर्ता से कुछ शुल्क वसूलेंगी। दरअसल, नीति आयोग की बैठक में मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतर्गत अगले पांच सालों में देश के प्रत्येक घर तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाने को प्राथमिकता दिए जाने का संकेत दिया है। इसके लिए जल संसाधन मंत्रालय के नाम को बदलकर इसे जल शक्ति मंत्रालय कर दिया गया है।
केंद्र सरकार इसके लिए बिहार मॉडल अपना सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि बिहार मॉडल में पानी की सप्लाई के बदले लोग रोजाना एक रुपये यानी प्रति महीने 30 रुपये का भुगतान करते हैं। जलापूर्ति की इस योजना में ग्राम पंचायत के एक वार्ड को बेसिक यूनिट माना जाता है और उसमें 100 घर शामिल होते हैं। इस मामले में पानी का स्रोत भूजल होता है, जोकि बिहार में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। ट्यूबवेल या बोरिंग के जरिए इसकी आपूर्ति की जाती है।
बिहार में दो साल पहले लागू हुई थी योजना
‘हर घर नल का जल’ योजना बिहार में सितंबर 2016 में लागू की गई थी। जिसमें पांच सालों के अंदर 20 मिलियन (दो करोड़) घरों तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। वर्तमान में केवल 0.8 मिलियन घरों में यह सुविधा मौजूद है। वर्तमान में शहरी और ग्रामीण बिहार में जल आपूर्ति की गुणवत्ता और मात्रा के मसलों के समाधान के लिए चार उप-योजनाएं चल रही हैं।
गंगा के मैदानी भागों वाले राज्यों के लिए विचार
के खिलाफ हर घर तक पीने का साफ पानी पहुंचाना नीतीश कुमार के सात नीतिगत संकल्पों में से एक था। 2015 में जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा था। हालांकि यह महागठबंधन ज्यादा समय तक नहीं चला और जदयू एनडीए का हिस्सा बन गई। अधिकारियों का कहना है कि जल आपूर्ति के बिहार मॉडल को उन क्षेत्रों में लागू करने पर विचार किया जा सकता है जहां भूजल काफी अधिक मात्रा में मौजूद है। जिसमें पंजाब से लेकर असम तक के गंगा के मैदानों वाले राज्य शामिल हैं।