नई दिल्ली : मोदी सरकार की एक ऐसी स्कीम है, जिसमें आप महज 70 हजार रुपए खर्च कर 25 साल तक मुफ्त बिजली पा सकते हैं। हर महीने आपके बिजली के भारी-भरकम बिल की टेंशन खत्म करने के लिए यह एक अच्छा ऑफर है। दरअसल, सोलर पैनल लगाने वालों को केंद्र सरकार का न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय रूफटॉप सोलर प्लांट पर 30 फीसदी सब्सिडी मुहैया करा रहा है। बिना सब्सिडी के रूफटॉप सोलर पैनल लगाने पर करीब 1 लाख रुपए का खर्च आता है। एक सोलर पैनल की कीमत तकरीबन एक लाख रुपए है। राज्यों के हिसाब से यह खर्च अलग होगा। सब्सिडी के बाद एक किलोवॉट का सोलर प्लांट मात्र 60 से 70 हजार रुपए में कहीं भी इन्स्टॉल करा सकते हैं। वहीं, कुछ राज्य इसके लिए अलग से अतिरिक्त सब्सिडी भी देते हैं। केंद्र सरकार की तरफ से पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर यह पहल शुरू की गई है। जरूरत के मुताबिक, पांच सौ वाट तक की क्षमता के सोलर पावर पैनल लगा सकते हैं। इसके तहत पांच सौ वाट के ऐसे प्रत्येक पैनल पर 50 हजार रुपए तक खर्च आएगा। सोलर पैनल में मेटनेंस खर्च नहीं आता, लेकिन हर 10 साल में एक बार बैटरी बदलनी होती है, जिसका खर्च करीब 20 हजार रुपए होता है। इस सोलर पैनल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। एक किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल में आमतौर पर एक घर की जरूरत की पूरी बिजली मिल जाती है, अगर एक एयरकंडीशनर चलाना है तो दो किलोवाट और दो एयर कंडीशनर चलाना है तो तीन किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल की जरूरत होगी। सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए यदि एकमुश्त 60 हजार रुपए नहीं है, तो आप किसी भी बैंक से होम लोन ले सकते हैं। वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को होम लोन देने को कहा है, अब तक बैंक सोलर प्लांट के लिए लोन नहीं देते थे। राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सोलर एनर्जी को बेचने की सुविधा दी जा रही है। इसके तहत सोलर पावर प्लांट से पैदा की गई अतिरिक्त बिजली पावर ग्रिड से जोड़कर राज्य सरकार को बेची जा सकेगी। उत्तर प्रदेश ने सोलर पावर का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहन स्कीम शुरू की है। इसके तहत सोलर पैनल के इस्तेमाल पर बिजली बिल में छूट मिलेगी। घर की छत पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बनाई जा सकती है, इसे बेचकर आप पैसा कमा सकते हैं। मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए लक्ष्य तय कर दिए हैं। मंत्रालय के मुताबिक, रूफटॉप सोलर प्लांट से सबसे अधिक बिजली तैयार करने का लक्ष्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को दिया गया है। महाराष्ट्र 2022 तक को 4700 मेगावाट और उत्तर प्रदेश को 4300 मेगावाट बिजली उत्पादन करना है। इसके अलावा गुजरात को 3200 मेगावाट, तमिलनाडु को 3500 मेगावाट, मध्य प्रदेश को 2200 मेगावाट, ओडिशा को 1000 मेगावाट, पश्चिम बंगाल को 2100 मेगावाट, कर्नाटक को 2300 मेगावाट, दिल्ली को 1100 मेगावाट, छत्तीसगढ को 700 मेगावाट का लक्ष्य दिया जाएगा।