‘लोगों ने पिछली बार 12वीं पास व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया। उन्हें यह भी नहीं पता कि वह कहां हस्ताक्षर कर रहे हैं। इस बार जनता को अपनी गलती दोहराने से बचना चाहिए।’ यह बात सीएम केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर हुई रैली में कही। उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि इस बार भाजपा को वोट न दें और लोकतंत्र बचाएं।
जंतर-मंतर पर तानाशाही हटाओ देश बचाओ सत्याग्रह
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के आह्वान पर बुधवार को जंतर-मंतर पर विपक्ष एकजुट हुआ। आम चुनाव में मोदी को उखाड़ फेंकने के लक्ष्य को भी दुहराया गया और तानाशाही हटाओ देश बचाओ का नारा दिया। लेकिन यह पहली बार था जब गठबंधन करने वाले दलों के क्षेत्रीय हित भी उभर आए।
रैली में आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चेताया कि यदि विपक्ष एकजुट नहीं हुआ तो ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा। रैली की खासियत वाम दलों की मौजूदगी रही।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और वाम नेता डी राजा लगभग पौने दो बजे तक मौजूद रहे लेकिन जैसे ही टीएमसी प्रमुख और प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आने का ऐलान हुआ वाम नेता विदा हो गए। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने मोदी सरकार पर हमला तो किया पर राफेल पर बोलने से परहेज किया।
आम आदमी केबैनर तले हुई रैली में विपक्ष ने एकजुट होकर एनडीए और उसके घटक दलों पर जमकर हल्ला बोला। लेकिन नायडू से लेकर ममता तक ने जिस अंदाज में राजनैतिक पाटयों को गठबंधन को लोकसभा चुनाव की जरूरत बताया, उससे साफ हो गया सभी विपक्षियों को मोदी सरकार से कष्ट है।
रैली में बोलते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में भाजपा के खिलाफ वह माकपा और कांग्रेस से गठबंधन से इंकार किया। उन्होंने कहा बंगाल में कांग्रेस और वाम दलों से टीएमसी की लड़ाई जारी रहेगी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वह उनके साथ है।
हालांकि माकपा महासचिव सीताराम येचुरी पहले ही मीडिया में स्पष्ट कर चुकेहैं कि टीएमसी साथ वाम दल कभी नहीं है। चंद्रबाबू नायडू ने कहा विपक्ष की एकता को वर्तमान राजनीति जरूरत बताते हुए कहा यदि विपक्ष अभी एक नहीं हुआ तो कभी यह अवसर नहीं आएगा। अगर अभी एक नहीं हुए तो यह आखिरी चुनाव होगा… फारुख अब्दुल्ला ने कहां देश सबका है राम जितने भाजपा के उतने उनके भी हैं। इसलिए हिंदू-मुस्लिम एकता में सेंध लगाने वालों को उखाड़कर फेंकने का वक्त आ गया है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन से इंकार करने वाली कांग्रेस ने भी आप के इस आयोजन में अपने प्रतिनिधि केरूप में वरिष्ठ नेता आंनद शर्मा को भेज महागठबंधन की एकता में इजाफा किया है। लगभग दो दर्जन से ज्यादा विपक्षी पाटयों ने जमावड़े ने कहीं न कहीं यह संकेत दे दिया है कि मोदी को हटाने के लिए संयुक्त विपक्ष एक राय है।
रैली में सीताराम येचुरी डी राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू आप पार्टी के नेता नेता गोपाल राय , पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी से प्रोफेसर रामगोपाल यादव, द्रविड़ मुनेत्र कडग़म की कनिमोई तथा राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक दल, राकांपा और अन्य दलों के नेता ने भी इस विशाल रैली को संबोधित किया।
लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती के साथ पिछले 15 दिन में यह तीसरी बार था जब विपक्षी नेता एक मंच पर दिखे इनकी कोशिश देश भर में महागठबंधन को भाजपा और सहयोगियों के समांतर खड़ा करने की है। क्योंकि कोलकत्ता के बाद गुजरे सोमवार सभी विपक्षी दलों ने आंध्र भवन में एकजुट हुए थे।
जहां सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में एक दिन का उपवास रखा था और राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग की थी। इससे पहले ममता बनर्जी की जनवरी में हुई रैली में भाग लेने के लिए विपक्षी नेता कोलकाता में एक साथ आए थे। केजरीवाल और भाजपा के बागी अरुण शौरी यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा सहित 23 से अधिक राजनीतिक दलों के नेताओं ने कोलकाता से लेकर बुधवार को जंतर-मंतर पर हुए आयोजन में भी शामिल हुए।
केजरीवाल और बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के कड़े आलोचक हैं। वे लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा विरोधी गठबंधन की एकता के लिए प्रयास कर रहे है।
एक ओर मंच से ममता मोदी सरकार पर निशाना साध रही थी। दूसरी तरफ चिटफंड घोटाले के पीड़ित हाथ में तख्तियां लेकर पश्चिम बंगाल की सभी कंपनियों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। 17 साल के शुभाकंर ने कहा पिता शारदा चिटफंड घोटाले की कंपनी के प्रतिनिधि थे उन्होंने गरीबों से करोड़ लेकर कंपनी को दिए अब लोगों ने उनका घर छीन लिया है। आठ लोगों का परिवार दो जून रोटी के लिए दर दर की ठोकरे खा रहा है।