केरल में 87 साल बाद हुई ऐसी बारिश, पटरी पर लौटने में लगेगा कम से कम एक दशक
केरल सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अंदेशा लगाया है। राज्य के इडुक्की, मल्लापुरम, कोट्टायम और इरनाकुलम जिले बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य की पहली प्राथमिकता लोगों को बचाना और लाखों तक राहत सामग्री पहुंचाना है। हालांकि वह इस बात को स्वीकार करते हैं कि राज्य का पुनर्निर्माण एक चुनौतिपूर्ण कार्य है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 87 साल के दौरान राज्य में अगस्त के महीने में ऐसी मूसलाधार बारिश पहली बार हुई है। साल 1931 के बाद से यहां अगस्त के महीने में इतनी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। मौसम विभाग के जलवायु डाटा मैनेजमेंट ऐंड सर्विसेज के प्रमुख पुलक गुहाठाकुरता का कहना है कि 1931 में केरल में अगस्त महीने में 1,132 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई थी।
सोमवार को जब मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से सरकार के पुनर्निर्माण कार्यों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि मुश्किल दिन आने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘लाखों लोग राहत शिविरों में हैं और इस समय वह हमारी प्राथमिकता हैं। हम जान-माल की क्षति का आंकलन कर रहे हैं।’ सरकारी अनुमान के अनुसार एक लाख इमारतों जिसमें लोगों के घर भी शामिल हैं उन्हें नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा 10,000 किलोमीटर के हाईवे और रोड, हजारों पुल बाढ़ में बह गए हैं। लाखों हेक्टेयर भूमि पर लगीं फसलें खराब हो गई हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि राहत और बचाव का कार्य खत्म हो जाने के बाद सरकार नुकसान के सही आंकलन की प्रक्रिया शुरू करेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भीषण बाढ़ का सामना करने वाले क्षेत्रों को पूरी तरह से ठीक होने में एक दशक लग जाएगा। साउथ एशिया नेटवर्क ऑफ डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल के हिमांशु ठक्कर ने रिकवरी के विभिन्न पहलुओं पर बात की। मानव पहलू, जिसमें पुनर्वास और सिस्टम बनाना जो भविष्य में बाढ़ के प्रभाव को कम कर सके शामिल है। उन्होंने कहा, ‘हम बाढ़ को नहीं रोक सकते हैं लेकिन हम उसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसके लिए हमें संरचनात्मक री-इंजीनियरिंग की जरुरत है ताकि नदियां स्वतंत्र होकर बह सकें। इसमें समय लगेगा।’
ठक्कर की बात गलत नहीं है। इसका उदाहरण कश्मीर है जहां चार पहले बाढ़ आई थी। उस बाढ़ में 2.61 लाख घरों को पूरी तरह से या आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा था। वहां अभी तक रिकवरी का कार्य पूरा नहीं हुआ है और ना ही सरकार ने प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया है। राज्य और केंद्र सरकार के घाटी को हुए नुकसान को लेकर अलग-अलग आंकलन हैं।