केस सुलझाने में चंडीगढ़ पुलिस रही नाकाम
दस्तक टाइम्स/एजेंसी
चंडीगढ़ : इंटरनैशल शूटर सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी का मर्डर केस भी अनसुलझे केसों की लिस्ट में पहुंच रहा है। इस कारण चंडीगढ़ पुलिस के सामने हमेशा हाईप्रोफाइल केस चुनौती बन जाते हैं। पुलिस हाईप्रोफाइल केस सुलझाने में हमेशा नाकाम साबित रहती है। आला अफसरों भी पीड़ित परिवार को दिलासा देने के लिए पहले तो एस.आई.टी. गठित कर देते हैं जिसके बाद जांच एक यूनिट से बदलकर दूसरी यूनिट में चली जाती है।हत्या के यह केस सुलझाने के लिए बने चंडीगढ़ पुलिस के लिए चुनौतीसैक्टर-42 एस.बी.आई. कालोनी में 4 अगस्त 2009 को बैंक अधिकारी की पत्नी संतोष कुमारी के हाथ और पांव बांधकर हत्या कर दी थी। हत्यारों ने संतोष के मुंह में बिजली की तार डालकर करंट लगाया था। इस हत्या केस की जांच एक यूनिट से दूसरी यूनिट में भेजी लेकिन कोई सुराग न लगा। आखिरकार चंडीगढ़ पुलिस ने 2007 में मामले में क्लोजर रिपोर्ट अदालत में पेश कर पल्ला झाड़ लिया।सैक्टर-34 स्थित शॉम फैशन मॉल के मालिक अरमजीत सिंह को 2009 में सैक्टर-35 स्थित कोठी के सामने बाइक सवार गोली मारकर फरार हो गए थे। मामले की जांच स्पेशल इंवेस्टिगेशन सेल ने की जिसके बाद जांच क्राइम ब्रांच के पास गई लेकिन अहम सुराग नहीं मिला। आखिरकार पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अक्तूबर 2010 को मामले की जांच चंडीगढ़ पुलिस से लेकर सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी। 2012 में सीबीआई ने भी अदालत में क्लोजर रिपोर्ट जमा करवाई थी।सैक्टर-22 में एम.एससी (आई.टी.)की छात्रा सिमरनजीत कौर की घर के अंदर हत्या कर दी थी। पड़ोसियों ने बताया था कि हत्यारे दो टाटा सूमो में आए थे। जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी थी लेकिन चंडीगढ़ पुलिस केस सुलझा नहीं सकी। पुलिस ने मामला सुलझाने के लिए 25 हजार इनाम भी रखा था आखिर में चंडीगढ़ पुलिस ने 2008 में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी।हिमाचल प्रदेश के एजुकेशन डिपार्टमैंट से ज्वाइट डायरैक्टर रिटायर्ड सैक्टर-21 निवासी सुंदरी अग्रिहोत्री की हत्या कर दी थी। मामले की जांच चंडीगढ़ पुलिस के हवाले थी। पुलिस ने मामले में नौकर और पड़ोसियों से पूछताछ की। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस ने 2007 में क्लोजर रिपोर्ट पेश करके पल्ला झाड़ लिया।सैक्टर-38 निवासी छात्रा नेहा की हत्या उसके घर से चंद कदम दूरी पर मई 2010 को हुई थी। मामले की जांच कई यूनिटों को दी गई। मामले में दोस्तों के गांधीनगर में ब्रेनमैपिंग और नारको टैस्ट करवाए गए लेकिन सुराग नहीं मिला। 2013 में सी.एफ.एस.एल. रिपोर्ट ने दुराचार की पुष्टि की। पुलिस ने केस सुलझाने के लिए 1 लाख रुपये ईनाम रखा गया लेकिन कोई सुराग न लगा।