कैंसर की बीमारी का सबसे बेजोड़ नुस्खा है ये पेड़, वैज्ञानिकों ने भी मान ली है ये बात
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हमारा शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से बना हुआ है जो कि बदलते वक्त के साथ बढ़ता जाता है पर कभी कभी हमारे शरीर मे किसी कारणवश इन कोशिकाओं का बढ़ना या तो अचानक से रुक जाता है या फिर आसामान्य रूप से बढ़ना शुरू कर देता है। ऐसे हालात में वह कोशिका शरीर के कई सारे अंग को काफी प्रभावित करता है और उसके सामान्य रूप से काम करने में भी अड़ंगा डालता है।
कैसे होता है कैंसर?
असामान्य रूप से बढ़े इस कोशिका की वजह से हमारे शरीर के अंदर सौम्य गांठ या ट्यूमर का निर्माण हो जाता है और धीरे धीरे यह कैंसर का रूप धारण भी कर लेता है। इस कैंसर से बचने के लिए बाज़ार में कई सारे काफी लंबे वक्त तक चलने वाला ट्रीटमेंट मौजूद है पर आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे है जो कि कैंसर को काफी कम वक्त में जड़ से खत्म कर सकता है। तो चलिये जानते है उसके बारे में विस्तार से…
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने वनस्पति खीचर (लाइसियम रुथेनिसिम) नामक पौधे को ढूंढ निकाला है। कैंसर को पूर्ण रूप से खत्म करने वाले इस पौधे के बारे में ऐसा बताया जा रहा है कि यह पौधा भारत के हिमालय क्षेत्र लद्दाख की नुब्रा घाटी में ही पाया जाता है। काफी दुर्लभ प्रजाति के होने के कारण इसे बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने संरक्षण करने की हिदायतें दी है। इसके साथ ही उन्होनें बताया कि इस पौधें को गढ़वाल और कुमाऊं के हिमालयी क्षेत्रों में उगाया भी जा सकता है।
कैंसर का इलाज
वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र मे पाये जाने वाला यारह पौधा सिर्फ कैंसर ही नही बल्कि इस साथकी कई सारी अन्य गंभीर बीमारियों को भी खत्म करने में सक्षम है। ऐसा बताया जा रहा है कि लिवर रोग, मासिक धर्म में होने वाले डिसऑर्डर, गुर्दा रोग, थकान मिटाने, कमजोरी दूर करने , नेत्र रोग, इत्यादि समस्याओं का निवारण करने में भी यह सक्षम है। इसके साथ ही शरीर के अंदर पाये जाने वाले विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में भी यह एक अहम भूमिका निभाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा बताया जा रहा है कि लाइसियम रुथेनिसिम को क्षेत्रीय भाषा में अनेको नाम से बुलाया जाता है। खीचर ,खिस्तर, कितरसमा ,ब्लैक गोजी इसके क्षेत्रीय नाम है। इस पौधे के बारे में ऐसा बताया जाता है कि यह पौधा पाकिस्तान, कजरिस्तान, मंगोलिया, चीन, दक्षिणी पूर्वी रूस , उर्बेजिस्तान जैसों देशो में भी पाया जाता है पर भारत मे यह मुख्यता हिमालय के निचले क्षेत्र में पाई जाती है।
समुन्द्र तल से लगभग 2800 से 3200 मीटर की उचाई पर पाए जाने वाले इस पौधे को लेकर वैज्ञानिकों ने यह आशंका जतायी है कि अगर इस पौधे का संरक्षण सही तरीके से नही किया गया गया तो आने वाले वक्त में हालात ऐसे हो जायेंगे की यह वनस्पति खत्म हो जाएगी। बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों के निर्देशक डॉ परमजीत सिंह ने हाल में ही इस पौधे की पहचान की है। कोल्ड डेजर्ट में पाई जाने वाले इस पौधे को लेकर वैज्ञानिकों ने व्यापक तौर पर शोध करने की संस्तुति की है। डॉ परमजीत के अनुसार उन्होंने बताया कि आज कई सारे देश की कई सारी कंपनियां इस पौधे का इस्तेमाल कर कई सारी औषधियों का निर्माण कर रही है।