नई दिल्ली : कैग (निरीक्षक एवं महालेखा परीक्षक) ने केंद्र सरकार के साथ सात राज्यों-असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल में एसडीजी को लेकर हुई प्रगति की समीक्षा की। संसद में पिछले सप्ताह पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने केंद्र तथा राज्य के स्तरों पर कई कदम उठाये हैं… हर क्षेत्र में कई ऐसे पहलू हैं जिन पर ध्यान देने के साथ ही सुधारात्मक उपायों की जरूरत है। केंद्र तथा राज्यों के स्तर पर एसडीजी को लेकर नीतिगत दस्तावेज तैयार करने का काम अब भी पूरा नहीं हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी लक्ष्यों के अनुरूप 2020, 2025 और 2030 के लिए पूर्व परिभाषित लक्ष्यों को रोडमैप तैयार करने का काम अभी बाकी है। धन की व्यवस्था के बारे में कैग का कहना है कि एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संसाधन जुटाने के संबंध में धनराशि की जरूरत का आकलन भी अभी तक नहीं किया गया है। सरकारी लेखा और बजट में एसडीजी को शामिल करने का काम केंद्र सरकार और राज्यों के स्तर पर अभी अधूरा है। कैग की रिपोर्ट में सरकार द्वारा की गयी पहलों के बारे में कहा गया है कि सांख्यिकी विभाग ने एसडीजी के लिए राष्ट्रीय सूचकांक फ्रेमवर्क तैयार कर लिया है। राज्यों ने भी अपने फ्रेमवर्क बनाये हैं। राष्ट्रीय फ्रेमवर्क में 306 सूचकांकों को जगह दी गयी है। हालाँकि चार साल बीत जाने के बावजूद 306 में से 137 सूचकांकों के आँकड़े अभी उपलब्ध भी नहीं हैं। एसडीजी के लागू करने की प्रक्रिया की निगरानी की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गयी है।