कैलाश पर्वत का बड़ा रहस्य: क्या यहां सच में एक महीने में ढाई साल के बराबर…
धरती का सबसे सुंदर जगह कहे जाने वाली जगह कैलाश पर्वत आज भी एक ऐसी जगह है जिसके कई सारे ऐसे अनसुलझे रहस्य है जिसका खोज अब भी वैज्ञानिक कर रहे हैं लेकिन इसके तथ्यों के बारे में पता लगा पाना आसान नहीं दिख रहा. जिस जिस ने भी कैलाश पर्वत से घुमकर वापस लौटा है सभी ने दुनिया से एक अलग ही तरह के अनुभव के बारे में साझा किया है और हर किसी का ये कहना है कि वहां के रहस्यों के बारे में पता लगाना काफी ज्यादा मुश्किल है.
कैलाश पर्वत से जुड़े रहस्य
कैलाश पर्वत में जाने वाले लोग बताते हैं कि जब हम पर्वत के ऊपर जाकर देखते हैं तो हमें ऐसा प्रतित होता है कि हम साक्षात महादेव के दर्शन कर रहे हैं. कैलाश पर्वत में बहुत सारे झील जिनकी खूबसूरती की व्याख्या कर पाना हर किसी की बस की बात नहीं. इसी तरह का एक रहस्य है कैलाश पर्वत के बारे में कि वहां फास्ट एजिंग है मतलब की समय जल्दी-जल्दी गुजरता है. तो चलिए जानते हैं वहां से जुड़े इस रहस्य के बारे में जिसकी पुष्टि अभी तक किसी ने नहीं की है.
क्या है मामला
कैलाश पर्वत वो जगह है जहां के बारे में कहा जाता है कि वहां जब आप घुमेंगे तो आपको ऐसा लगेगा कि कहीं से ऊँ की आवाज आ रही है और साथ ही डमरू भी बज रहा है लेकिन इसकी पुष्टि कर पाना किसी के बस की बात नहीं है. वहां दो सरोवर है एक है मानसरोवर और दूसरा राझस ताल. कैलाश पर्वत में जह सूर्य की पहली किरण पड़ती है तो वहां का नजारा बिल्कुल ही अलग होता है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण रहस्य है फास्ट एजिंग का.
क्या है फास्ट एजिंग
दरअसल, सोशल मीडिया के हवाले से ऐसा दावा किया जा रहा है कि कैलाश पर्वत की तलहटी में एक दिन एक महीने के बराबर होता है और एक महीने में करीब ढाई साल के बराबर दिन होते हैं. मतलब कि अगर हम सामान्य जगह पर एक महीने में चार बार नाखुन काटते हैं तो कैलाश पर्वत की तलहटी में हमें एक दिन में चार बार नाखून काटने होंगे. दरअसल ऐसा कुछ नहीं है कि वहां एक दिन एक महीने के बराबर है बल्कि वहां कुछ तरंगो की वजह से हमें ऐसा प्रतित होता है और इस वजह से हमारा ज्यादा थका हुआ महसूस होता है. विज्ञान की बात करें तो शरीर का जल्दी थक जाना ही फास्ट एजिंग की गिनती में आता है. इसलिए कैलाश पर्वत के बारे में ऐसा कहा जाता है.