उत्तराखंडराज्य

कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों को परेशान कर रहा चीन, गोविंद दास ने सुनाई आपबीती

भारत-चीन के तनाव के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान चीन के अधिकारी भारतीयों के साथ बेरुखी से पेश आ रहे हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा से यहां लौटने के बाद हरिशरणम जन के प्रमुख स्वामी राम गोविंद दास भाई आपबीती सुनाई। 
चीन ने तिब्बत के धार्मिक स्थलों को भी अपने कब्जे में ले लिया है। ल्हासा से कैलाश मानसरोवर तक की यात्रा के दौरान 40 से अधिक बार चेकिंग कर चीन के सुरक्षाकर्मियों ने यात्रियों को काफी परेशान करने की कोशिश की।

उनके व्यवहार से तनाव साफ झलक रहा था। कैलाश मानसरोवर यात्रा से यहां लौटने के बाद हरिशरणम जन के प्रमुख स्वामी राम गोविंद दास भाई जी ने यह अनुभव साझा किए। 

भाई जी ने बताया कि वह चार मई को नेपाल के रास्ते हवाई मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए थे। सिगात्से, सांगा से होकर वह बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मानसरोवर गए। पूरा मार्ग बर्फ से ढका था।

ल्हासा एयरपोर्ट से मानसरोवर तक चीनियों ने सुरक्षा के नाम पर 40 बार चेकिंग की। भाई जी का कहना था कि वे भगवान को पीतांबर चढ़ाने गए थे, लेकिन वहां उन्हें बर्फीले स्थान पर मोतियों की माला भगवान के प्रसाद के रूप में आश्चर्यजनक ढंग से मिल गई।

​काठमांडू के रास्ते अप्रैल से लेकर अक्तूबर तक लोग तीन रास्तों से जाते हैं। नियातांग, सांगा से प्रयांग होते हुए गाड़ी से जाया जाता है। हवाई मार्ग की यात्रा नेपालगंज, हिल्सा सीमीकोट तक होती है। काठमांठू से ल्हासा के लिए भी हवाई यात्रा की सुविधा है। 

तिब्बतियों से पासपोर्ट का अधिकार छीना 

चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के प्रमुख बौद्ध स्थलों पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने तिब्बतियों से पासपोर्ट बनाने का अधिकार छीन लिया है। दलाईलामा के विरोध में बौद्ध स्थलों के सुरक्षा की कमान चीनी अधिकारी रखते हैं। 

इंडोनेशिया में मुस्लिमों के नाम हिंदू 
स्वामी रामगोविंद दास ने बताया कि वह इंडोनेशिया के प्रमुख शहर बाली गए थे। यहां मुस्लिमों के नाम चंद्र और राम हैं। बाली में नवरात्रि पर नौ दिन छुट्टी घोषित है। लोग सामूहिक रूप से नवरात्र मनाते हैं। अभिवादन के लिए ओम स्वस्ति अस्तु कहते हैं। जबकि भारत में लोग राम-राम कहने में अपमान महसूस करते हैं। 

मारीशस के लोग भारत भूमि के स्पर्श करने के इच्छुक
उन्होंने बताया कि वह हिंदू धर्म का प्रचार करने मारीशस गए थे। वहां के पूर्व उप प्रधानमंत्री प्रविंद जुगुन ने उनका स्वागत किया। लोग संत को पाकर काशी खुश थे। उनका कहना था कि वे भारत भूमि का स्पर्श करने से खुद को धन्य मानते हैं

 
 

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