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कैलाश मानसरोवर यात्रा: आपदा के बावजूद रिकाॅर्ड यात्रियों ने किए दर्शन

नैनीताल: अंतिम पड़व पर पहुंच चुके एतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार भीषण आपदा और अतिवृष्टि के बीच भी जारी रही तथा यही कारण है कि इस बार इस ऐतिहासिक यात्रा में सबसे अधिक रिकार्ड 914 यात्री चीन कैलाश दर्शन के लिए गये। हिन्दुओं की सबसे पवित्र माने जाने वाली यात्रा भारत और चीन के बीच वर्ष 1981 में शुरू हुई थी। तब से लेकर अब तक यह यात्रा अनवरत रूप से जारी है। इस वर्ष चीन के साथ चल रही तनातनी का यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ है। पहले सिक्किम के नाथूला दर्रे विवाद तथा बाद में डोकलाम विवाद भी यात्रियों के डग नहीं रोक पाये। इन विवादों के बावजूद पिथौरागढ़ के सीमांत व्यास घाटी से इस बार रिकॉर्ड 914 यात्री इस बार कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए चले गये हैं। अभी तक 2014 में सबसे अधिक 910 यात्री कैलाश के दर्शन के लिए जा पाये थे। इस बार तमाम विवादों, प्रतिकूल मौसम तथा आपदा के बावजूद यात्रा रिकॉर्ड कायम करने में सफल रही है। यात्रा के लिहाज से देखा जाए तो सबसे कम 59 यात्री 1981 में गए थे।

उस बार मात्र तीन जत्थे ही कैलाश दर्शनों के लिए जा पाये। वर्ष 1998 में हुई मालपा जैसी विभीषिका के वक्त भी 11 यात्री दल ही चीन जा पाये थे जिसमें मात्र 597 यात्री चीन में कैलाश के दर्शन कर पाये। वर्ष 2017 में यात्री दलों की संख्या 18 हो गयी जिसमें तय किया गया कि अधिकतम 60 यात्री ही एक दल में कैलाश दर्शन के लिए जा पायेंगे। इस साल सबसे कम यात्री अंतिम 18वें दल में गये हैं जिसमें मात्र 26 पुरूष और आठ महिला समेत 34 यात्री ही शामिल हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने बताया कि अंतिम यात्री दल गुंजी से आगे की यात्रा पर निकल गया है। 16वां व 17वां दल चीन अधिकृत तिब्बत की यात्रा पर है जबकि 14वां व 15वां दल कैलाश के दर्शन कर वापस भारतीय क्षेत्र नाबीढांग-गुंजी पहुंच गया है।

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