कैसे होगा कोरोना के खतरनाक ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ से बचाव? WHO ने इन चीजों को बताया Variant लड़ने का हथियार
कोरोनावायरस (Coronavirus) के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) से लड़ाई में वैक्सीनेशन (Vaccination) और मास्क लगाने जैसे सुरक्षा उपाय करना बेहद जरूरी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रूस में प्रतिनिधि मेलिता वुजनोविक (Melita Vujnovic) ने इसकी जानकारी दी. इस वेरिएंट को बेहद ही खतरनाक माना जा रहा है और ये तेजी से लोगों के बीच फैल रहा है. अभी तक भारत में इसके 50 के करीब मामले सामने आ चुके हैं. ये वेरिएंट दुनिया के 11 मुल्कों में अपनी दस्तक दे चुका है.
मेलिता वुजनोविक ने एक लाइव यूट्यूब शो में कहा, वैक्सीनेशन प्लस मास्क, क्योंकि डेल्टा से निपटने के लिए सिर्फ वैक्सीन ही काफी नहीं है. हमें एक छोटी अवधि के दौरान प्रयास करने होंगे, नहीं तो हमें फिर से लॉकडाउन लागू करना होगा. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन जरूरी है, क्योंकि ये वायरस के फैलने की संभावना और संक्रमित होने पर मरीजों को गंभीर स्थिति में पहुंचने के खतरे को कम करती है. हालांकि, हमें साथ ही साथ अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी.
डेल्टा वेरिएंट की वजह से बढ़ रहे कई मुल्कों में केस
इस महीने की शुरुआत में WHO ने डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) को अपने ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ की सूची में शामिल किया. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि ये वेरिएंट तेजी से लोगों के बीच फैल रहा था और रूस समेत कई मुल्कों में नए मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार था. भारत में भी डेल्टा प्लस वेरिएंट के कई मामले सामने आए. इसमें सबसे पहला केस मार्च में रिपोर्ट किया गया. इस हफ्ते में डेल्टा प्लस वेरिएंट से पहली मौत हुई, जो मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड किया गया. ये कोविड मरीज वैक्सीनेटेड नहीं था.
क्या है डेल्टा प्लस वेरिएंट?
डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से ही निकला है और इसमें K417N नाम का स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन होता है. ये स्पाइक प्रोटीन दक्षिण अफ्रीका में पहली बार मिले बीटा वेरिएंट (Beta variant) में भी मिला था. वैज्ञानिकों को इस बात का डर सता रहा है कि ये म्यूटेशन डेल्टा वेरिएंट के अन्य मौजूदा फीचर्स के साथ मिलकर इसे ज्यादा संक्रामक बना सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, K417N म्यूटेशन इसलिए भी खास है, क्योंकि ये बीटा वेरिएंट में भी मिला था. इस वेरिएंट को लेकर माना गया कि ये इम्यून सिस्टम को भेद सकता है.