कॉफी पीने से कैंसर का खतरा? पढ़ें क्या है हकीकत
कॉफी और कैंसर का क्या है नाता?
क्या कॉफी पीना स्मोकिंग के बराबर खतरनाक है? ऐसा तो नहीं है तो फिर कैलिफोर्निया के एक जज ने शुक्रवार को यह आदेश क्यों दिया कि कॉफी की पैकेजिंग के साथ कैंसर की वॉर्निंग जानी चाहिए? कॉफी का कैंसर से कोई लिंक है, इससे जुड़े प्रमाण काफी कम हैं लेकिन रोस्टिंग की प्रक्रिया पर नजर है। दूसरे कई फूड्स के साथ भी यही समस्या है। जानें डिटेल…
नहीं है कोई प्रमाण
डब्ल्यूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) को लगता है कि कॉफी में कोई दिक्कत नहीं। दो साल पहले ही इसे कार्सिनोजेनिक (कैंसर फैलाने वाले) लिस्ट से बाहर किया जा चुका है और कहा था कि इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं।
जानवरों पर हुआ था शोध
समस्या कॉफी में नहीं बल्कि लेकिन उस केमिकल में है जो कॉफी बीन्स को रोस्ट करते वक्त निकला है। इसे एक्रिलैमाइड कहते हैं। जानवरों पर हुए शोध के मुताबिक इसे कार्सिनोजेनिक माना जा सकता है।
नहीं पता कितनी मात्रा है खतरनाक
किसी को यह बात पता नहीं कि एक्रिलैमाइड की कितनी मात्रा नुकसानदायक है। यूएस ने पीने वाले पानी के लिए एक्रिलैमाइड की लिमिट तय कर रखी है लेकिन फूड्स के लिए नहीं।
इंसानों पर नहीं पता चला प्रभाव
एक्रिलैमाइड के भी कार्सिनोजेनिक होने की संभावना उस स्टडी पर आधारित है जब यह जानवरों को बहुत अधिक मात्रा में दिया गया। इंसान इस केमिकल को अलग-अलग मात्रा में अवशोषित करते हैं और इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर अभी भी पता नहीं चल सका है।
इन फूड्स में भी है एक्रिलैमाइड
अकेले कॉफी ही नहीं बल्कि फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, क्रैकर्स, कुकीज और अनाज में भी एक्रिलैमाइड होता है। यहां तक कि कुछ बेबी फूड्स में भी यह तत्व पाया जाता है।
कॉफी ही क्यों कटघरे में
1986 से कैलिफोर्निया में जिन चीजों से कैंसर या हेल्थ रिस्क है उस पर वॉर्निंग देने का प्रावधान है। एक ग्रुप यह चाहता था कि कॉफी मेकर्स या तो प्रॉसेसिंग से एक्रिलैमाइड को हटा दें या फिर इसके खतरे के बारे में बताएं, इसीलिए ये लोग कोर्ट पहुंचे थे।