कोरोनाकाल में आगे आए कुमार अशोक, कुछ इस तरह कर रहे लोगों की मदद
लखनऊ: लखनऊ में तेजी से बढ़ रही संक्रमितों की संख्या के साथ लोगों को बेड, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण और दवाइयों की जरूरत भी बढ़ती जा रही थी। ऐसे में कई सामाजिक संगठन और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए, जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं। लेकिन, इन सबके बीच एक संगठन ऐसा भी था, जो सोशल मीडिया से मिलने वाली प्रतिष्ठा और सम्मान से दूर अदृश्य होकर लोगों की सेवा में जुट गया था और आज भी लगातार सेवा कार्य ही कर रहा है।
कुमार अशोक पांडेय संयोजक, सेवाएं, आपदा एवं राहत विभाग भाजपा उत्तर प्रदेश ने कोरोना महामारी के प्रथम चरण के बाद दूसरे चरण में संक्रमण से जूझ रहे लोगों की सेवा के कार्य को ही अपना उद्देश्य बनाकर दिन रात लोगों की समस्याओं का निस्तारण किया। बिना किसी दिखावे के कुमार अशोक पांडेय जी की ओर से किए जा रहे इस सेवाकार्य की किसी को भनक तक नहीं लगी और कुमार अशोक पांडेय जी और उनकी टीम ने इस कोरोना महामारी की चैन को देखते हुए हजारों लोगों को जीवनदान देने का कार्य किया।
अप्रैल माह में कोरोना के दूसरे चरण के शुरू होते ही कुमार अशोक पांडेय जी ने लोगों की मदद करने के लिए मोर्चा संभाल लिया था। गंभीर परिस्थितियों को देखते ही लोगों की सहूलियत के लिए हेल्पलाइन बनाया गया। जिसमें उनकी टीम 24X7 जरूरतमंदों को इलाज मुहैया कराती रही। हेल्पलाइन के अलावा कुमार अशोक पांडेय जी ने आपदा प्रबंधन के नाम से कई व्हाट्सअप ग्रुप बनाए, जिनमें 100 से 120 लोगों को जोड़ा गया। इस लिहाज से व्यवस्थाओं को सही करने और लोगों की मदद करने के लिए तकरीबन 7 से अधिक ग्रुप तैयार हुए, जिनमें 500 से ज्यादा लोगों ने एक साथ मोर्चा संभाला। कुमार अशोक पांडेय जी ने बताया कि समूचे उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर यदि किसी मरीज को आवश्यकता पड़ती थी तो उसकी सूचना हेल्पलाइन या व्हाट्सप्प ग्रुप पर में बढ़ा दी जाती थी, फिर जो भी उस समस्या का समाधान करने में सक्षम होता था, वह तत्काल मौके पर पहुंचकर उनकी मदद करता था। इस दौरान कुमार अशोक पांडेय स्वयं, प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, संतकबीरनगर, गोरखपुर, कानपुर, इलाहाबाद और बरेली का स्वयं दौरा कर लोगों को भोजन, बेड, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण और दवाइयों की व्यवस्था की।
महामारी के दौर में अलग-अलग काम के लिए है NGO हमारे साथ आये। NGO के साथ साथ अपनी टीम को प्लाज्मा, ब्लड, बेड, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण, भोजन व्यवस्था, अंतिम संस्कार आदि की जिम्मेदारियों सौंपी गई। दवाइयों, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण व भर्ती का जिम्मा संभाल रहे कुमार अशोक पांडेय जी ने 500 से अधिक लोगों के पास उपचार से संबंधित दवाइयों को पहुंचाने का काम किया। लोगों को पूरे उत्तर प्रदेश में चिकित्साधिकारियों से बात कर जरूरतमंदों को भर्ती कराया गया। इस जनसेवा में कुमार अशोक पांडेय जी दिन रात लगे हुए थे।
इस दौरान एक ऐसा वाक्या लखनऊ में आया जिसे सुनकर शायद आपको भी हैरानी होगी। लखनऊ के चिनहट में एक मरीज जिसे पहले अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा था उसने किसी के द्वारा हमारी हेल्पलाइन पर संपर्क किया। उसको लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में बेड की व्यवस्था की गई लेकिन उसे ले जाने के लिए सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिल पायी। तो परिजनों ने मात्र तीन किलोमीटर की दूरी के लिए 15 हजार रुपये उस एम्बुलेंस चालक को देने पड़े। बाद में जब यह बात मुझे पता चली तो मैंने तुरंत NGO से संपर्क किया प्राइवेट एम्बुलेंस के लिए। इस दौरान सुराशी शलगम संस्था ने हाथ बढ़ाया और संस्था की सचिव श्रीमती चेतना पांडेय जी ने दो नई एम्बुलेंस दान में दी। एक एम्बुलेंस लखनऊ के आशियाना के क्षेत्र में और दूसरी जानकीपुरम क्षेत्र में जरूरतमंदों के लिए निःशुल्क व्यवस्था की गई। इन दोनों एम्बुलेंस चालकों ने बड़ी तत्परता और ईमानदारी के साथ अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। लेकिन लगभग 12 दिन बाद दोनों चालक कोरोना संक्रमित हो गए। जिन्हे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस दौरान हमारे साथ चार NGO साथ आये, जिसमें सुराशी सलगम संस्था, Helping Hands & Tomatoes, शांतिकुंज हरिद्वार की एक संस्था, अमीनाबाद स्थित कुंवर जीतेन्द्र सिंह जी की संस्था, बमनदेव संस्था और रैनाश किचन शामिल है। हजारों की संख्या में आपदा प्रबंधन के लिए काम कर रही टीम की ओर से रोजाना 500 से अधिक तीमारदारों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इतना ही नहीं, अस्पताल के बाहर बैठे तीमारदारों के साथ शहर के कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर लोग रोजाना कमाकर अपना जीवन व्यापन करते हैं। लखनऊ में कई ऐसी जगहों पर भूखे पेट सो रहे लोगों के लिए टीम की ओर से भोजन के पैकेट तैयार किए जाते हैं, जो देर रात तक गरीब और असहाय लोगों में बांट दिए जाते हैं।
इसके लिए भी बाकायदा व्यवस्था की गई और सभी को जिम्मेदारी सौंपी गई। गोमती नगर विस्तार स्थित मलेशियामऊ, खरगापुर से लेकर गोमतीनगर में शांतिकुंज हरिद्वार की संस्था लोगों को भोजन की व्यवस्था कर रही थी। अमीनाबाद में कुंवर जितेंद्र सिंह जी, ठाकुर गंज से लेकर चौक तक बामनदेव समिति के अध्य्क्ष रामनरेश शुक्ला, रैनाश किचन और सुराशी शलगम संस्था ने लोगों को भोजन की कमी नहीं होने दी। दिन और रात भोजन की व्यवस्था में इन्होने साथ दिया। इस दौरान सम्बंधित थाने और नगर निगम से सहायता के लिए टेलीफोन से बात की गई और नगर निगम व समबन्धित थानों ने इस महामारी में पूरा सहयोग दिया। कई बार रसोई के लिए सिलेंडरों की व्यवस्था भी पुलिस ने करवाई ताकि लोग भूखे न रह सके। नगर आयुक्त से मिलकर अमरनाथ मिश्रा और राजेंद्र अग्रवाल जी ने मेरे निर्देश पर कानपुर में भोजन की व्यवस्था की।
नगर निगम के कर्मचारियों ने न केवल भोजन की व्यवस्था में बल्कि मृतकों के अंतिम संस्कार में भी काफी मदद की। लखनऊ भैंसा कुंड में नगर निगम के कर्मचारी रवि और आजाद जी ने यथासंभव मदद की। जरूरतमंतों को लकड़ियां दिलवाने में भी यथासंभव मदद की। एकदिन सुरेश गुप्ता जी एवं राजेन्द्र सिंह जी के साथ गाड़ी उतरवाने भैसकुंड गए थे। तभी तीन पत्रकारों के तीमारदार आपस में भिड़ गए। कहासुनी चल रही थी पता चला मेयर साहब ने किसी शव को नम्बर जल्दी जलाने को कहा है तभी आपदा राहत विभाग के संयोजक कुमार अशोक जी ने हस्तक्षेप कर तीनो के शवो को एक साथ अंदर रख लेने हेतु रवि और आज़ाद जी को समझाया और मामला शांत हो गया।
इसके अलावा कुमार अशोक पांडे ने भैंसाकुंड के अलावा गोमती नदी के किनारे कैंट क्षेत्र में दाहग्रह को भी लकड़ी की व्यवस्था कराकर शवो को भैसाकुण्ड से वहाँ भी ले जाने की व्यवस्था करवाई। ताकि लोगों को असुविधा न हो।