कोरोना :अहमदाबाद से पैदल राजस्थान पहुंचे 2000 मजदूर
देशभर में लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों के जीवन पर पड़ा है। निर्माण कार्य रुकने की वजह से इन्हें काम मिलना बंद हो गया और अब इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को जिंदा बचाए रखने की है। इनके पास न तो पैसे हैं और न ही साधन। फिर भी वे हर हाल में अपने घरों को लौट जाना चाहते हैं। रेल और बस सेवाएं पूरी तरह बंद होने की वजह से 2000 से ज्यादा राजस्थान के प्रवासी मजदूर मंगलवार रात पैदल अहमदाबाद से अपने घरों के लिए निकल गए। इनमें बड़ी संख्या बच्चों और महिलाओं की थी।
राजस्थान के बांसवाड़ा का रहने वाला 32 साल का दशरथ यादव मंगलवार शाम 7 बजे 12 अन्य मजदूरों के साथ अपने घर के लिए निकला। दशरथ अहमदाबाद में एक ठेकेदार के अधीन दिहाड़ी मजदूरी करता है। करीब चार घंटे पैदल चलने के बाद भूखे प्यासे मजदूर किसी तरह हिम्मतनगर पहुंचे, लेकिन पुलिस ने इन्हें रोक लिया। बाद में पुलिस ने आगे जाने की इजाजत दी। इसके बाद दशरथ और उसके साथी मजदूरों को वहां से एक ट्रक मिला, जिसमें करीब 100 लोग सवार थे।
वे सभी अरावली जा रहे थे। पूरी रात सफर करने के बाद मजदूर अरावली के शामलाजी पहुंचे। बस स्टाप के बाहर सैकड़ों मजदूर पहले से ही जमा थे। कुछ मजदूरों को जयपुर, किसी को जोधपुर तो किसी को उदयपुर जाना था, लेकिन वहां बसें नहीं थीं। बिछिवारा के तहसीलदार अमृत पटेल ने इन मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए तीन राज्य परिवहन की बसें और करीब दो दर्जन मिनी बसों को इंतजाम किया। इसके बाद ये मजदूर अपने घरों तक पहुंच सके।
आंध्र और तेलंगाना सीमा पर फंसे सैकड़ों लोग
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की विभिन्न सीमाओं पर बुधवार रात से ही सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। लॉकडाउन और दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी के चलते इन लोगों को सीमा में घुसने की इजाजत नहीं दी जा रही थी। इनमें गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने इन लोगों के एकांतवास में जाने की शर्त मानने के बाद ही राज्य की सीमा में घुसने की इजाजत दी।