कोरोना काल में बाघों की नई पीढ़ी आई सामने
मध्य प्रदेश के बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हुई सबसे अधिक बढ़ोत्तरी
भोपाल : दुनिया के कई देशों में जब प्राणियों की विविध प्रजातियों में वन्य जीवों को बचाए रखने का संकट बना हुआ हो, उसमें बाघों के कुनबे में बढ़ोत्तरी पर खुशी जताना चाहिए। बाघों में यह बढ़ोत्तरी कोरोना काल के बीच दर्ज की गयी है। भारत के लिए बाघों का होना जहां जैव विविधता की दृष्टि से महत्व रखता है, वहाीं इनकी संख्या का बढ़ना निश्चत ही गौरव दिलाता है। यह आश्वस्त करता है कि भारत में बाघ के जीवन पर कोई संकट नहीं, जबकि कई देशों से बाघ आज विलुप्त हो गए हैं और कई में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं। बाघों की संख्या बढ़ोत्तरी एवं उनके संरक्षण को लेकर भारत कितना सक्रिय और संवेदनशील है, वह इससे भी पता लगता है कि बाघों के संरक्षण के लिए भारत आज दुनिया के कई देशों की मदद कर रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने फिलहाल दुनिया भर में ऐसे 13 देशों की पहचान की है, जहां मौजूदा समय में बाघ पाए जाते हैं। लेकिन बेहतर संरक्षण के अभाव में इनकी संख्या काफी कम हो रही है। ऐसे में वह इन सभी देशों को बाघों के संरक्षण को लेकर बेहतर तकनीक और योजना, दोनों ही मुहैया करा रहा है ।
जैव विविधता में आठ प्रतिशत से अधिक है भारत की हिस्सेदारी
देश के राष्ट्रीय पशु को लेकर एक आंकड़ा भारत के पक्ष में यह भी जाता है कि दुनिया की सिर्फ ढाई फीसद ही वन्य भूमि भारत के पास है, लेकिन जैव विविधता में हिन्दुस्थान की हिस्सेदारी आठ फीसद से भी अधिक की है। यह दर्शाता है, कि भारत प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कितना तत्पर है। बाघों को संरक्षण के लिए भारत ने जिन 13 देशों में मुहिम चलाई हुई है उनमें आज बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, रूस, म्यांमार, नार्थ कोरिया, अफगानिस्तान, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में हैं सबसे अधिक बाघ
भारत के राष्ट्रीय जानवर बाघ के संतानों की संख्या में हाल के वर्षों में वृद्धि को देखें तो देश में बाघों की पहली सबसे बड़ी संख्या मध्य प्रदेश में हैं । यहां पर कुल 526 बड़े बाघ हैं। अब नए शावकों के आ जाने के बाद इनकी संख्या में और वृद्धि हो गई है । दूसरी सबसे अधिक संख्या कर्नाटक में है। कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (सीडब्लूएस) की नवीनतम बाघ जनगणना के अनुसार कर्नाटक राज्य में 524 बाघ हैं, जबकि उत्तराखंड में 442 बाघ गिने गए हैं। इन सब के बीच अकेले एक राज्य मध्य प्रदेश की ही बात प्रमुखता से करें तो पिछले कोरोना काल में मानव गतिविधियों में आई कमी और बढ़ते जंगल के बीच बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। यहां प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र बाघों की नर्सरी के रूप में उभरा है। यहाँ से बाघ वयस्क होने पर कम घनत्व के संरक्षित क्षेत्र में प्रदेश के अंदर और बाहर भेजे जाते हैं। अकेले इसी क्षेत्र में ही बाघों के दो नवजात शावक सहित तीन से छह माह के आठ शावकों के होने की पुष्टि हुई है।
41 नए बाघ शावक
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) आलोक कुमार ने बताया कि गश्ती दल द्वारा मानपुर परिक्षेत्र के बड़खेड़ा बीट की एक गुफा में दो नवजात शावक देखे गये। इसी तरह पनपथा कोर परिक्षेत्र के चन्सुरा और बिरुहली क्षेत्र में तकरीबन तीन-तीन माह के चार शावक होने की पुष्टि हुई है। आलोक कुमार कहते हैं कि बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा एक वर्ष तक के बाघों के होने की जानकारी तैयार की गई है। इसमें विभिन्न गश्ती के दरम्यान ट्रेक कैमरा और प्रत्यक्ष रूप से देखने में 41 बाघ शावक के प्रमाण मिले हैं। कल्लवाह परिक्षेत्र में आठ से दस माह के चार शावक, ताला परिक्षेत्र में बाघिन टी-17 के पांच, पतौर परिक्षेत्र में आठ से दस माह के बारह, धमोखर परिक्षेत्र में छह माह के चार, पनपथा बफर परिक्षेत्र में तीन माह के दो और इसी तरह से पनपथा कोर परिक्षेत्र में तीन माह के दो, भानपुर में नवजात दो शावक, मगधी परिक्षेत्र में दस से बारह माह के पांच और खितौली परिक्षेत्र में आठ से बारह माह के चार शावक की पुष्टि परिक्षेत्र अधिकारियों ने की है। यहां के ताला परिक्षेत्र के पर्यटन जोन में बाघिन टी-17 के चार शावक पर्यटकों को निरंतर आकर्षित कर रहे हैं।
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