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कोर्ट की अवमानना पर वकील को केरल बाढ़ पीड़ितों को देना पड़ा दान


नई दिल्ली : जजों की आलोचना पर सख्ती दिखाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह एक नया ट्रेंड बन गया है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रवृति को रोकने के लिए हमें कठोरता दिखानी ही होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अवमानना के दोषी वकील को सजा के तौर पर केरल बाढ़ पीड़ितों के लिए सहायता राशि दान करने का भी निर्देश दिया। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भारतीय मतदाता संगठन के महासचिव और वकील विमल वाधवन के खिलाफ लिखित में प्रमाण दिए। इसके आधार पर कोर्ट ने वाधवन को अवमानना का दोषी माना। बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ शामिल थे।

कोर्ट ने कहा कि यह काफी अपमानजनक है। यह बुरा परिणाम वाला होगा। जब अवमानना के आरोपी वकील ने कोर्ट से नरमदिली की अपील की और हाथ जोड़कर माफी मांगी तो बेंच ने पूछा, ‘आपने केरल बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए क्या किया है?’ बेंच ने अवमानना के दोषी पाए वकील के खिलाफ जवाबदेही तय करने के क्रम में वरिष्ठ वकील शेखर नापहाड़े ने कहा कि इन दिनों जजों की आलोचना का ट्रेंड बन गया है। उन्होंने कहा, ‘ऑन रेकॉर्ड में सुप्रीम कोर्ट के वकील कई बार कुछ ऐसी टिप्पणी कर देते हैं, जिनके बारे में उन्हें भी नहीं पता होता है कि यह अवमानना के दायरे में है।’ अवमानना के दोषी वकील ने जब कोर्ट से रहम की गुहार लगाई तो बेंच ने कहा, ‘अटॉर्नी जनरल ने केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए 1 करोड़ की राशि दान की है। आपने अब तक क्या किया?’ तब वाधवन ने कहा कि वह 50 हजार की रकम दान करना चाहते हैं, लेकिन एजी ने इसे 5 लाख करने की मांग की। जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अवमानना का दोषी करार करते हुए हमें खुशी नहीं मिलती, लेकिन इन दिनों जजों की आलोचना का यह एक ट्रेंड बन गया है। हम इस प्रवृति को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं।’ वाधवान ने सुनवाई से पहले ही बिना किसी शर्त के माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें अपनी गलती का अहसास है।

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