कर्नाटक सरकार ने जयललिता की आय से अधिक संपत्ति मामले में सजा पर सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। बताते चलें कि यह प्रयास तब हुआ है, जब एक अन्य याचिका में जयललिता की संपत्ति से 100 करोड़ रुपए जुर्माना वसूलने की मांग पर दोबारा से गौर करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी सख्त टिप्पणियां
जयललिता की मृत्यु होने के बाद सर्वोच्च अदालत ने उन पर कोई फैसला नहीं सुनाया था, लेकिन सख्त टिप्पणियां की थी। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जयललिता और शशिकला साजिश में शामिल हुईं। पब्लिक सर्वेंट होते हुए भी जयललिता ने आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति हासिल की। इसे शशिकला ने दूसरे लोगों को बांट दिया। कोर्ट ने कहा कि जयललिता के अकाउंट से शशिकला के अकाउंट में राशि का ट्रांफर यह साबित करता है कि इसमें सभी आरोपियों की सामूहिक भूमिका थी।
सरकारी अभियोजक ने की थी जुर्माना वसूलने की वकालत
विशेष सरकारी अभियोजक बीवी आचार्य ने कहा था कि इस मामले में जिरह जुलाई में समाप्त हुई थी। फैसले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। उनका निधन हो गया है, सिर्फ इसलिए उनके ऊपर चार्ज कम करना गलत है। उन्होंने कहा, जयललिता की सजा को बरकरार रखना चाहिए। वह चार साल की जेल की सजा नहीं भुगत सकती, लेकिन उनकी संपत्ति से 100 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को मानने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा उसे पूर्व में दिए गए अपने निर्णय पर पुर्नविचार करने की कोई जरूरत नहीं है।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में ट्रायल कोर्ट के दिए आदेश को सही माना थ्ाा।इसमें शशिकला और उनके सहयोगी इलावरासी और वीएन सुदर्शन को दोषी माना है। ट्रायल कोर्ट ने जेल की सजा के साथ-साथ 100 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया था।