कोल्ड ड्रिंक्स से बढ़ रहे मोटापे से बचने के लिए आया ये नया फॉर्मूला
कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स आदि पर अगर अधिक कर लगाकर महंगी बेची जाएं तो इससे बच्चों और युवाओं को मोटापे, डायबिटीज और दांतों की बीमारियों से बचाया जा सकता है। ये सिफारिश विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने की है। डब्ल्यूएचओ ने शुगर ड्रिंक्स की खुदरा कीमत पर 20 फीसदी का टैक्स लगाने की सिफारिश की है।
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने दुनियाभर के प्रतिनिधियों की बैठक में इस बात को गंभीरता से रखते हुए मीठे पेय जैसे सोड़ा, फ्रूट ड्रिंक, स्पोटर्स ड्रिंक, एनर्जी-विटामिन ड्रिंक, ठंडी शुगर चाय और नींबू पानी पर एक्साइज टैक्स लगाने की सिफारिश की है। इसके पीछे दलील दी गई है कि अगर ये पेय पदार्थ महंगे बिकेंगे तो इनकी खपत भी कम होगी और बीमारियां भी कम घेरेंगी।
डब्ल्यूएचओ के निदेशक डॉक्टर डगलस बेचर के मुताबिक पूरी दुनिया में मोटापे और डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह यही शुगर ड्रिंक्स ही हैं। अगर सरकारें इन उत्पादों पर कर बढ़ाएगी तो महंगी होने के कारण इनकी खपत कम होगी और लोगों के बीच बढ़ते इन बीमारियों को बचाया जा सकता है। 2014 में पूरी दुनिया के वयस्कों में हर तीन में एक मोटापे का शिकार था। 2015 में करीब 4.2 करोड़ बच्चे जिनकी उम्र पांच साल से भी छोटी थी, वे भी मोटापे से घिरे पाये गए।
– भारत में चीन और अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा लोग मोटापे के शिकार
– भारत में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं मोटापे से ग्रसित हैं।
– बिहार में सबसे कम 4.3 फीसदी महिलाएं जबकि नगालैंड में सबसे अधिक 6.4 फीसदी महिलाएं मोटापे की शिकार हैं
– मध्यप्रदेश में सबसे कम 4.3 फीसदी पुरुष मोटापे से परेशान, जबकि असम में सबसे ज्यादा 5 फीसदी पुरुष मोटापे से ग्रसित हैं
– सबसे ज्यादा मोटापे के मामले में पंजाब की महिलाएं और पुरुष सबसे आगे हैं। महिलाएं 29.9 फीसदी और 22.2 फीसदी पुरुष मोटापे के शिकार हैं।
पूरी दुनिया कैसे घिरी है मोटापे की बीमारी में
– 1980 से लेकर 2014 तक मोटापा के शिकार लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है।
– 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर तीन में से एक शख्स मोटापे का शिकार था।
– किसी भी व्यक्ति को शुगर से केवल उसकी पूरी एनर्जी का 10 फीसदी हिस्सा ही मिलता है।
– डायबिटीज के 30 फीसदी लोगों को स्ट्रोक, 40 फीसदी को हार्ट अटैक, आधे लोग किडनी बेकार होने के शिकार होते हैं।
– 1980 में 108 मिलियन लोग डायबिटीज के मरीज थे जिनकी संख्या 2014 में 422 मिलियन तक पहुंच गई। वहीं 2012 में अकेले 1.5 मिलियन लोगों की मौत डायबिटीज के चलते हुई थी।