कोविड के खिलाफ जंग में इतिहास की सबसे बड़ी सहायता राशि को IMF की दी मंजूरी
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सदस्य देशों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई और देशों के ऊपर बढ़ते कर्ज से निपटने में मदद के लिए 650 अरब डॉलर के इतिहास के सबसे बड़े बजट को मंजूरी दी है। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) के रूप में जाना जाने वाला यह बजट 2009 के वित्तीय संकट के ठीक बाद जारी किए गए 250 अरब डॉलर के बाद पहली बार है। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जार्जीवी ने इसे “दुनिया के हाथ में एक शॉट (इंजेक्शन)” नाम देते हुए कहा है कि यह वैश्विक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद करेगा। आईएमएफ के सोमवार को जारी किए गए बयान में कहा गया है कि एसडीआर आवंटन 23 अगस्त से प्रभावी होगा।
जॉर्जीवा ने कहा “एसडीआर आवंटन से सभी सदस्यों को लाभ होगा। यह भंडार की लंबी अवधि की वैश्विक जरूरत को पूरा करेगा, विश्वास पैदा करेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था की लचीलापन और स्थिरता को बढ़ावा देगा।” उन्होंने आगे कहा “यह विशेष रूप से हमारे सबसे कमजोर देशों को कोविड -19 संकट के प्रभाव से निपटने में मदद करेगा।”
अमेरिका के चलते हुई थी देरी
वैश्विक अर्थव्यवस्था के संरक्षक की भूमिका निभाने वाला आईएमएफ एक वर्ष से अधिक समय योजना को शुरू करने की कोशिश कर रहा है। शुरुआत में ही इसमें देरी हुई जब आईएमएफ के सबसे बड़े शेयरधारक अमेरिका ने इसे रोक दिया। डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली रिपप्लिकन ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। रिपब्लिकन प्रतिनिधि फ्रेंच हिल ने इसे चीन, रूस और ईरान जैसे देशों को बजट आवंटित करने की ‘धनी देशों और दुष्ट सरकारों के लिए सस्ता’ कहकर निंदा की थी।
आईएमएफ के सभी 190 सदस्यों को उनके कोटे के अनुपात में रिजर्व आवंटित किए जाते हैं। इसमें लगभग 70% 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले समूह में जाएगा जबकि सिर्फ 3 प्रतिशत कम आय वाले देशों तक पहुंचेगा। कुल मिलाकर एसडीआर का 58 प्रतिशत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में जाता है जबकि 42 प्रतिशत उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जाता है। अमेरिकी वित्त विभाग की गणना के अनुसार 650 अरब डॉलर में से 21 अरब डॉलर कम आय वाले देशों और 212 अरब डॉलर उभरते बाजारों और विकासशील देशों में जाएगा।