जीवनशैली
क्या आपके परिवार में भी है कोई मानसिक रोगी है तो आज की रात जरूर करें ये काम
चिकित्सकों के अनुसार पूनम का चांद मानसिक बदलाव के साथ नकारात्मक सोच भी विकसित करता है। खासकर ये चांद मनोरोगियों को बेसब्र और बेचैन बना देता है। मनोरोगियों में इस तरह के आए बदलाव को ‘ल्यूनेटिक बिहेवियर’ कहते हैं।
शरद पूर्णिमा वैसे तो लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। इसे लेकर अलग-अलग कई मान्यताएं और कई वैज्ञानिक तथ्य भी जुड़े हुए हैं। धरती से सबसे नजदीक होने की वजह से चांद का गुरुत्वाकर्षण न सिर्फ समुद्र में बड़े ज्वार लाता है बल्कि जीवधारियों में मानसिक बदलाव भी लाता है।चिकित्सकों के अनुसार इसमें अवसाद, आत्महत्या की प्रवृति भी काफी हद तक बढ़ जाती है।
माना जाता है कि जीवधारियों के शरीर में पानी की मात्रा अत्यधिक होती है इसलिए उस पर पूर्णमासी का खासा असर होता है। मनोरोग विशेषज्ञ डा. नीरज गुप्ता कहते हैं कि पूर्णमासी पर मरीज के व्यवहार में बदलाव आता है। डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इस दौरान मन में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ सी जाती है। ऐसे में मरीज अकेले छोड़ना खतरनाक हो सकता है।