क्या आप जानते हैं कि नींबू-मिर्ची का टोटका क्यों करते हैं लोग
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हम 21वीं सदी में जी रहे हैं फिर भी भारत में अधंविश्वास से जुड़ी बातों को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। यह वाकयी हैरान कर देने वाली बात है। भले ही ऐसी बातों से लोगों का कोई सरोकार न रहा हो फिर भी सुनी-सुनाई बातों व अंधविश्वासों को लोग मानने में पीछे नहीं रहते।
इस कारण एक भय का माहौल तैयार होता है और जो लोग इन चीजों से डरने लगते हैं वे अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए अंधविश्वास से जुड़ी हर वो चीज मानने लगते हैं जो उन्हें बताई जाती है।
कई ऐसे भी होते हैं जो इसमें अपना फायदा खोजने लगते हैं। इसलिए वे शुभ-अशुभ मानते हुए उन सभी नियमों का पालन करते हैं जो काफी समय से चले आ रहें हैं। उन्हें देख-देख कर आने वाली पीढ़ी भी यही सीख लेती है लेकिन इस फॉलोअर पीढ़ी और बुजुर्गों से हमारा सवाल है कि क्या उन्होंने कभी ये क्रियाएं करने के पीछे छुपे राज जानने की कोशिश की..?
शायद नहीं। इसलिए हम में से आज तक बहुत लोग ये नहीं जानते कि मिर्ची के संग नींबू क्यों लटकाया जाता है या शव यात्रा से लौटने के बाद स्नान क्यों किया जाता है ? चलिए आज हम अपने पाठकों को बताते हैं ऐसे ही उलझे हुए सवालों के जवाब जिनके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क छुपे हुए हैं। हां, उन सभी बातों को जिसे आप अंधविश्वास मान उसे शुभ अशुभ का नाम देते है।
इसे शुभ समझा जाता है। इसके पीछे लोगों का मानना है कि ऐसा करने से भाग्य मजबूत होता है।
जबकि वैज्ञानिक यह लॉजिक लगाते हैं कि पुराने समय के सिक्के ताबें से मिलकर बने होते थे जो पानी के अंदर के बैक्टिरिया को खत्म करने का काम करते थे। यह हमारी सेहत को लिए भी काफी लाभकारी होते है। नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए लोग नदी में सिक्के फेंकते थे।
इसे भी भाग्य के साथ जोड़कर देखा जाता हैं और मानते हैं कि ऐसा करना शुभ होता है।
वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के हिसाब से इसके पीछे छिपे तथ्य ये बताते है कि पुराने समय में लोग ज्यादातर एक स्थान से दूसरे स्थान पैदल चलकर ही जाया करते थे और जाने से पहले दही का सेवन किया करते थे ताकि उनके शरीर में ताजगी के साथ ठंडक काफी समय तक बनी रहे। वहीं अगर दही में शक्कर डालकर पीने से ग्लूकोज की मात्रा भी बढ़ जाती है। यह शरीर में ऊर्जा प्रदान करने में मदद करती है।
किसी भी अंतिम संस्कार से लौटने के बाद लोग नहाते हैं। माना जाता है कि श्मशान जाकर लोग अशुभ हो जाते हैं।
जबाकि असल लॉजिक ये है कि मरने के दौरान मृत शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते है और उसके संपर्क में आने के बाद वो हमारे शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं, इसी से बचने के लिए श्मशान से आकर स्नान करना जरूरी समझा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इन दो दिनों में यदि बाल धोए जाते हैं तो बुरे वक्त आता है। जबकि वैज्ञानिक मानते हैं कि पहले समय के लोग पानी को भरने के लिए दूर दराज नदी तलाब या कुएं में जाया करते थे और पानी की बचत के लिए ये लोग 1-2 दिन न तो बाल धोते थे और न ही कपड़े। धीरे-धीरे इस प्रथा का चलन हो गया और लोग इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखने लगे।
बुरी नजर से बचने के लिए लोग महज 5 रुपए की मिर्ची नींबू से काम चलाते हैं। ये समझते हैं कि उनका धंधा इसी के बलबूते चल रहा है। अगर ये न करें तो धंधा चौपट समझो। आज के लोग इसे बुरी नजर से बचाने वाला यंत्र समझने लगे हैं।
जबकि इसके पीछे छुपा लॉजिक यह कहता है कि नींबू और मिर्च में साइट्रिक एसिड की मात्रा भरपूर पाई जाती है। जो बाहरी बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करता है। इस वजह से बचने के लिए और अपनी सेहत को बनाये रखने के लिए लोग अपने घरों के बाहर नींबू के साथ मिर्च को बांधकर लटकाते थे।