क्या आप जानते हैं क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार
मकर संक्रांति के त्यौहार को भारत में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। मकर संक्रांति के त्यौहार को इसलिए इतने व्यापक स्तर पर मनाया जाता है क्योंकि यह एक खास पर्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने से प्रकृति में एक विशेष प्रकार की रौनकता आ जाती है।
मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति को बहुत स्थानों पर खिचड़ी के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए इस दिन कई जगहों पर खिचड़ी खाने का भी प्रचलन है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है। इसके अलावे इस दिन तिल, गुड़, रेवड़ी, गजक का प्रसाद भी बांटा जाता है।
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन गरीबों की बीच काले तिल के बने व्यंजनों का वितरण करने से शनि का कुप्रभाव कम होता है। मकर संक्रांति का यह त्यौहार प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और फसल से जुड़ा है। मकर संक्रांति के दिन से ऋतु में खास परिवर्तन देखने को मिलता है। मकर संक्रांति के दिन मुख्य तौर पर सूर्य की पूजा होती है। इस दिन सूर्य की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि सूर्य को ही प्रकृति का कारक माना जाता है।
कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति
भारतीय पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति, सूर्य संक्रांति के दिन मनाई जाती है। साल 2018 में मकर संक्रांति 14 जनवरी (रविवार) को मनाई जाएगी। साल 2017 में भी मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई गई थी। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और खरमास समाप्त हो जाता है। खरमास के समाप्त होते ही सभी प्रकार के शुभ कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
संक्रांति और पुण्यकाल
मकर संक्रांति में संक्रांति का ही महत्व ही विशेष तौर पर माना जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी 2018 को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति में पुण्यकाल का भी खास महत्व है। मकर संक्रांति के विशेष पुण्यकाल 14 जनवरी 2018 को रात्रि 8:08 बजे से लेकर 15 जनवरी को दिन के 12 बजे तक रहेगा। इस दौरान ही मकर संक्रांति की पूजा का भी शुभ मुहूर्त भे माना जाता है।
इसके अलावे मकर संक्रांति के दिन जी भी दान-पुण्य किए जाते हैं, उसके लिए भी यह उत्तम समय है। भारतीय पंचांग के अनुसार विक्रम संवत् 2074 में संक्रांति का वाहन महिष रहेगा। साथ ही संक्रांति का सहायक वाहन ऊंट रहेगा। साथ ही इस साल संक्रांति का आगमन काले वस्त्र और मृगचर्म धारण कर होगा। आभूषण के रूप में नीले रंग के आक पुष्प की माला और नीलमणि का आभूषण इनका प्रिय होगा। साथ ही हाथों में तोमर और आयुध लिए, दही का भोग लगाती हुई दक्षिण दिशा की ओर भ्रमण करती हुई दिखाई देंगी।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। शास्त्रों में दक्षिणायन को देवताओं के शयन का समय माना गया है। साथ ही उत्तरायण को देवताओं को जागृति का समय माना गया है। इसलिए इस दिन जप, पुण्य कार्य, दान, स्नान, तर्पण श्राद्ध आदि धार्मिक कार्यों का खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शुद्ध घी और काले कम्बल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय और सूर्यास्त
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर जाना शुरू कर देते हैं। इसलिए इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़ी होने लगती है। साथ ही गर्मी का अहसास भी इस दिन से होने लगता है। शास्त्रों में इसलिए सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन अंधकार का प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।