अद्धयात्म

क्या जीवन-मृत्यु से मुक्ति के लिए जरूरी है गुरु?

एजेन्सी/ guru-purnima-55bb34135ed7f_lजन्म-जन्मान्तरों से जीव इस संसार में भटक रहा है और अनंत कर्मों के बंधन पीड़ा और दुखों को भोग रहा है। अज्ञानवश कर्मों को काटते और भोगते समय वह कर्मों के चंगुल में आ जाता है और जन्म-मृत्यु के चक्रव्यूह में फंस जाता है। 

कौन है जो इस चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्युओं को कृष्ण बनकर मुक्ति का रास्ता दिखा सकता है? सद्गुरु शिव के अलावा कोई हो ही नहीं सकता है। इस चक्रव्यूह के भेदन की सबसे पहली सीढ़ी है कि जीवन में सद्गुरु का होना। 

गुरु का जीवन में होना ही वो पहली अनिवार्यता है, जिससे हम शनै: शनै: इस चौरासी के चक्कर से मुक्त हो सकते हैं। गुरु कृपा है तो बस फिर हमारे प्रयास की आवश्यकता है। 

हमारा प्रयास है गुरु के बताए मार्ग पर चलना यह दूसरी अनिवार्यता है। गुरु के बताए मार्ग सुदर्शन क्रिया, ध्यान, प्राणायाम, सेवा और सत्संग का अनुसरण करते हुए हम मुक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं। 

इस तरह प्रथम चरण गुरु कृपा, द्वितीय चरण प्रयास, तीसरा आखिरी व महत्वपूर्ण चरण है ज्ञान का प्रकाश। हमारे शास्त्रों में समाहित इस गूढ़ ज्ञान को अत्यंत सरल, सहज, सुगम रूप में गुरुओं ने ही मानव मात्र के कल्याण के लिए प्रस्तुत किया है।   

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