इसके अलावा जचगी के दौरान बहुत सी महिलाओं की मौत हो जाती थी। गर्भधारण करना ही बहुत बड़ी चुनौती होती है। महिला को अपनी कोख में एक और जिंदगी को पालना पड़ता है। इससे बीमारियों से लड़ने की महिलाओं की क्षमता पर असर पड़ता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इतिहासकार जेन हम्फ्रिस कहती हैं, “गर्भवती होने पर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। फिर आप को दूसरी बीमारियां होने का डर होता है। अगर कोई गर्भवती महिला टीबी की शिकार हो जाए, तो उसे इस बीमारी से लड़ने में बहुत मुश्किल होती है। पुराने जमाने में टीबी भयानक बीमारी हुआ करती थी।”
वैलेंटिना कहती हैं कि पुराने जमाने में महिलाओं को मर्दों के मुकाबले कम खाना मिलता था। पौष्टिक खाना तो और भी कम मिलता था। नतीजा ये होता था कि लड़कियों का ठीक से विकास नहीं हो पाता था। बच्चे पैदा करते वक़्त उनकी मौत हो जाती थी।पुराने दौर के लोगों की उम्र से जुड़े आंकड़े न होने से उस दौर की जनसंख्या की उम्र की सही-सही गणना मुश्किल होती है। उस दौर के लोगों के बारे में जानकारी टैक्स के दस्तावेजों, कब्र पर लिखे शिलालेखों से हासिल की जाती है। ऐसे आंकड़ों में उन नवजात बच्चों का जिक्र नहीं होता, जो पैदा होते ही मर गए।
शीडेल कहते हैं कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए ठोस आंकड़ों की जरूरत होती है। कुल मिलाकर ये कहें कि रोमन साम्राज्य में आबादी की हालत आज के दौर जैसी ही थी। बहुत ज्यादा फर्क नहीं था। औसत आयु में थोड़ा-बहुत ही अंतर था। हम ये नहीं कह सकते कि औसत आयु में बहुत फासला था। हां, नवजातों और गर्भवती महिलाओं के लिए पहले के मुकाबले आज हालात बेहतर हैं।
जैसे-जैसे हमारे पास आबादी की सेहत, उम्र और दूसरे आंकड़े जमा होने लगे, तैसे-तैसे हमें किसी नतीजे पर पहुंचने में आसानी होने लगी। पिछली एक सदी से ज्यादा वक्त के आंकड़े बताते हैं कि बच्चों की मौत की दर पिछली सदी में बहुत ज्यादा थी, लेकिन अगर कोई इंसान 21 बरस की उम्र तक पहुंच गया, तो उसके आज के लोगों के बराबर ही जीने की उम्मीद थी। सन 1200 से लेकर 1745 तक 21 बरस की उम्र तक पहुंचने वाला इंसान 62 से 70 साल तक जीता था। इसका अपवाद केवल 14वीं सदी थी, जब प्लेग की वजह से इंसानों की औसत उम्र 45 बरस ही रह गई थी।
पैसा होने पर ज्यादा उम्र तक जीते हैं लोग?
इस सवाल का जवाब हमेशा हां में हो ये जरूरी नहीं। मध्य युग के एक लाख 15 हजार यूरोपीय लोगों की उम्र के आंकड़े बताते हैं कि वो अपने राजा या सामंतों से छह साल ज्यादा जीते थे। 17वीं सदी में इंग्लैंड में सामंती तबके के लोगों से ज्यादा उम्र गांव में रहने वालों की हुआ करती थी।
रईस लोग तमाम संसाधन होने के बावजूद इसलिए कम उम्र ही जीते थे, क्योंकि 18वीं सदी तक के शहरों में गंदगियों और बीमारियों का जमावड़ा था। नतीजा ये होता था कि वो बीमारियों के शिकार होते थे। जब सेहत और मेडिकल सुविधाओं में इंकलाबी सुधार आया, तो इसका फायदा सबसे पहले अमीरों को ही हुआ। औद्योगिक क्रांति से पैदा हुए प्रदूषण से लड़ाई में इंसान ने जीत हासिल की, तो यूरोपीय रईसों की औसत उम्र सबसे पहले बढ़ी।
ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के युग में अगर आप बचपन की मुश्किलों से जीत गए, तो महिलाएं 73 साल और पुरुष 75 साल तक जी जाते थे। आज भी कामकाजी तबके के लोगों की औसत आयु 72 साल और महिलाओं की 76 साल निकाली जाती है। यानी ये मानना कि हम अपने पुरखों के मुकाबले ज्यादा जीते हैं, गलत होगा। आदिम काल में झांकें, जब के कोई आंकड़े हमारे पास नहीं हैं, तो उस वक्त इंसान कितने बरस जीता होगा?
माना जाता है कि आदि मानव अगर तमाम मुसीबतों से पार पा गया, तो उसकी औसत उम्र 51 से 58 साल होती रही होगी। हालांकि एक और रिसर्च ये कहता है कि आदि मानव की औसत उम्र 30 से 37 साल रहती होगी। वहीं, महिलाएं अगर 45 साल तक जीती रह गईं, तो उनके 65 से 67 साल तक जीने की उम्मीद जग जाती थी।
ऑस्ट्रेलिया के एंथ्रोपोलॉजिस्ट क्रिस्टीन केव और मार्क ओक्सेनहैम ने 1500 साल पुराने कंकालों से निष्कर्ष निकाला कि ज्यादातर लोग 65 साल तक जिए थे। हालांकि, इनमें से 16 लोग ऐसे भी थे जो 65 से 74 साल तक जिए। वहीं, नौ ने तो 75 की उम्र भी पार की थी। तो, कुल मिलाकर ये कहना ठीक रहेगा कि हमारी अधिकतम उम्र में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है। मेडिकल साइंस की तरक्की और स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी ने ये सुनिश्चित किया है कि हम में से ज्यादा लोग इस उम्र तक पहुंच पाते हैं।