क्या हैं…पीरियड्स लेट होने के ख़ास कारण
महिलाओं में पीरियड संबंधी अनियमितता एक आम समस्या है। पीरियड नहीं आने, देरी से आने या बंद होने के कई कारण होते हैं, लेकिन महिलाओं के मन में इस बात का डर बैठ जाता है कि कहीं वो प्रेगनेंट तो नही हैं। यह डर महिलाओं में स्ट्रेस बढ़ाता है। माहवारी के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन, पेट दर्द होना सामान्य है। पीरियड अचानक से बंद होने या पीरियड ना होने पर महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं है। आइए जानते हैं कि कौन से कारण हैं जो महिलाओं के पीरियड्स में देरी का कारण बनते हैं।
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम(PCOS)
यह एक डॉक्टरी समस्या है, जिसकी शिकार कोई भी महिला हो सकती है। यह समस्या उन महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है जिनकी जीवनशैली अनियमित होती है तथा जिनका वज़न काफी ज़्यादा होता है। इस स्थिति मे महिलाओं के अंडाशय या ओवरी (ovary) में छोटे सिस्ट्स (cysts-गांठ) पैदा हो जाते हैं और ये सामान्य अण्डोत्सर्ग की प्रक्रिया को जटिल बना देते हैं।
इस समस्या की शिकार महिलाओं का पीरियड्स काफी अनियमित होता है। इससे बांझपन की समस्या तथा मधुमेह और दिल की अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं। इसके अलावा पीसीओएस के लक्षण में चेहरे और सीने में बाल आना, वजन कम करने में कठिनाई होना और फर्टिलिटी में परेशानी होना आदि समस्या होती है।
तनाव या डिप्रेशन
कई बार पीरियड लेट होने का कारण आपके जीवन की किसी एक बड़ी घटना या किसी डर का आपके दिमाग में हमेशा के लिए बैठ जाना होता है। आपके दिमाग के जिस हिस्से(हैपोथैलमस) में ये डर बैठ जाता है उसी हिस्से से पीरियड को नियंत्रित करने वाले हार्मोंस का उत्सर्जन होता है। तनाव की वजह से हैपोथैलमस काफी ज्यादा प्रभावित होता है, जिससे पीरियड्स लेट होते हैं। जैसे आपका ब्रेकअप होने पर या फैमली में किसी की मृत्यु होने पर, आप तनाव मे होते हैं जिस वजह से भी पीरियड्स लेट होते हैं।
वेट लॉस या अन्य एक्सरसाइज
पीरियड्स न होने का एक कारण आपका बीएमआई(बॉडी मास इंडेक्स) कम होना हो सकता है। यदि आपका बीएमआई 18-19 से कम है तो यह सेहत के लिए अच्छा नही है। इसके अलावा भोजन की इच्छा न होना या ज्यादा भूख लगना भी पीरियड्स न होने का एक प्रमुख कारण है।
थॉयराइड अनियंत्रित होना
थॉयराइड ग्रंथि गले में स्थित होती है जो कि मेटॉबॉलिजम को नियत्रित करती है। यह शरीर के अन्य हिस्सों से जुड़ी होती है जिससे बॉडी सही ढ़ंग से काम करती है। यह आप थॉयराइड से जुड़ी किसी भी तरह की बीमारी हाइपो या हाइपर्थाइरॉइडिज़म से ग्रसित हैं तो भी आपके पीरियड्स में परेशानी हो सकती है। यदि आपको थॉयराइड से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है तो तुरंत डाक्टर से सलाह लें।
क्रोनिक डिजीज़
कोई पुरानी बीमारी जिसका लंबे समय तक इलाज करने पर भी बीमारी ठीक नही हुयी या फिर कोई लाइलाज बीमारी होने पर भी पीरीयड्स देरी से होते हैं या कई बार होते भी नही। ऐसी स्थिति में चिकित्सक से जांच कराएं।
गर्भ-निरोधक गोलियां (Contraceptive pills)
पीरियड ना होने या देरी से होने का कारण प्रेगनेंसी से बचने के लिए आपके द्वारा ली जाने वाली हानिकारक दवाईयां भी हो सकती हैं। प्रेगनेंसी रोकने के लिए कम प्रभाव वाली दवाईयां खतरनाक तो नही होती हैं लेकिन कई बार इनके साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं जैसे टाइम से पीरियड ना होना।
प्रीमेच्योर मेनोपॉज
महिलाओं की उम्र जब 35-40 वर्ष के आस-पास की होती है तो उनमें कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। पीरियड्स होना भी बंद हो जाता है। मेनोपॉज यदि समय से पहले हो, तो इसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज कहते हैं। इससे समय से पहले ही कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे रात को पसीना होना, वेजाइनल ड्राईनेस आदि। यह साधारण समस्या नही है इसके लिए जितना जल्दी हो सके किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञ(गाइनकोलॉजिस्ट) से सलाह लें।
महिलाओं में पीरियड्स लेट होने या न होने का कारण जानने के बाद ही इसका सही इलाज संभव है। इसके बारे में अपने डॉक्टर से मिल कर उन्हें इसकी सही जानकारी दीजिये। वे आपको डाइट चार्ट, एक्सरसाइज प्लान, स्ट्रेस को कम करने के तरीके आदि के बारे में बताएंगे और जरूरी दवाइओं के लिए सलाह देंगे।