क्या RBI एक बार फिर कम करेगा EMI का बोझ ? कल होगा फैसला
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों पर बैठक चल रही है। कल गुरुवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों (रेपो रेट) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक सस्ते कर्ज के जरिए बाजार में तरलता बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने की कोशिश करेगा। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है जिसके मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ी है।
कल होगा फैसला
रिजर्व बैंक कल गुरुवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों (रेपो रेट) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। नई सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मौद्रिक समीक्षा होगी। पिछली दो बैठकों में भी नीतिगत दरों में चौथाई-चौथाई प्रतिशत की कटौती कर चुकी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली एमपीसी की तीन दिन की बैठक चार जून से शुरू होगी। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी हालिया शोध रिपोर्ट में कहा था कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में 0.25%से अधिक बड़ी कटौती करनी होगी, जिससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती को रोका जा सके।
इंडस्ट्री की भी है मांग
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन के लिए केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में कटौती को जारी रखना होगा। उन्होंने कहा, उपभोक्ता सामान खंड में उत्पादन और बिक्री में कमी को दूर करने की जरूरत है। यात्री कारों, दोपहिया और गैर टिकाऊ सामान क्षेत्र में बिक्री में वृद्धि की जरूरत है।
कोटक महिंद्रा बैंक की अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शान्ति एकाम्बरम ने कहा कि रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती की दृष्टि से माहौल अनुकूल है। उन्होंने कहा, हम तरलता बढ़ाने के उपाय और ब्याज दरों में कटौती दोनों की उम्मीद कर रहे हैं। ब्याज दरों में कटौती चौथाई से आधा प्रतिशत हो सकती है। वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने हालांकि ब्याज दरों में कटौती पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने यह जरूर कहा कि महंगाई में कमी और आर्थिक वृद्धि नरम पड़ने पर गौर करते हुए फैसला करेगी।
इससे पहले 2 बार कटौती कर चुका है RBI
आरबीआई की ओर से पिछली दो कटौती का लाभ बैंकों ने पूरी तरह से उपभोक्ताओं को नहीं दिया था। रेपो रेट घटाने के बाद कुछ ही बैंकों ने इसका लाभ लोगों को दिया था। इसके बाद आरबीआई ने बैंकों से कटौती का फायदा पहुंचाने के लिए कहा था। माना जा रहा है कि इस बार आरबीआई बैंकों से पूरी कटौती देने को कह सकता है। बैंकों पर भी अपना करोबार बढ़ाने का दबाव है क्योंकि पिछले दिनों में कर्ज लेने की रफ्तार घटी है। इससे होम-कार या दूसरे तरह के कर्ज लेने वालों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।