क्लीन स्वीप से बचने के लिए टीम इंडिया को वॉन्डरर्स पर चाहिए ‘वंडर’
इतिहास बदलने और पिछले 25 साल का हिसाब बराबर करने जैसे बड़े-बड़े जुमलों के साथ साउथ अफ्रीका पहुंची टीम इंडिया के सामने अपनी साख बचाने का सवाल खड़ा हो गया है। दुनिया की नंबर-1 टेस्ट टीम तीन टेस्ट मैचों के शुरुआती दो टेस्ट गंवाकर वाइटवॉश के मुहाने पर खड़ी है लेकिन आज (बुधवार) से शुरू हो रहे तीसरे टेस्ट मैच में जब साउथ अफ्रीका के खिलाफ वॉन्डरर्स के मैदान पर टीम इंडिया उतरेगी तो उसके फैंस ‘वंडर’ (चमत्कार) की उम्मीद लगाए बैठे होंगे।
करीब 11 साल बाद भारतीय टीम उसी मैदान पर उतरेगी, लेकिन अबकि हालात बदल हुए होंगे। साउथ अफ्रीकी टीम भी सीरीज में भारत का सफाया करने को बेताब है और इसलिए वह अपनी मजबूती और भारत की कमजोरी को यहां भुनाने की भरपूर कोशिश करेगा। अपनी जीत की नींव तैयार करने के लिए मेजबानों ने पिच पर जमकर घास छोड़ी है, जिससे मूवमेंट के अलावा पेस और बाउंस मिलना तय है।
मेजबान टीम के खिलाड़ी इस हरियाली का फायदा उठाने के लिए उसी अटैक के साथ उतरेंगे जिसने सेंचुरियन की एक तरह की सपाट पिच भारतीय बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। हालांकि, यह हरियाली उनके लिए भी मुसीबत का सबब बन सकती है। देखना दिलचस्प होगा कि हरियाली किस टीम के लिए आफत बनती है।
बदलाव नंबर-35
विराट ने लगातार 34 टेस्ट में कभी भी अपनी प्लेइंग इलेवन को दोहराया नहीं है और इस मैच में भी बदलाव तय है। संकेत हैं कि चयन को लेकर आलोचनाएं झेलने के बाद आखिरकार भुवनेश्वर कुमार को उतारने का फैसला लिया गया है। ऐसे में पहले दोनों टेस्ट में अपने चयन से चौंकाने वाले जसप्रीत बुमरा बोलिंग अटैक से बाहर रहेंगे। हालांकि सभी की दिलचस्पी बल्लेबाजी क्रम पर रहेंगी, जहां हर कोई अजिंक्य रहाणे का नाम खोजेगा।
टीम जब से वॉन्डरर्स में जुटी है तब से रहाणे लगातार नेट पर अभ्यास कर रहे हैं। हालांकि, सिक्के की उछाल के बाद ही पता लगेगा कि रोहित शर्मा के मुकाबले कप्तान की नजर में उनकी क्या अहमियत है। भारत छह बल्लेबाजों और एक तेज गेंदबाज हरफनमौला को लेकर भी उतर सकता है। एक और बदलाव तय नजर आ रहा है। पार्थिव पटेल की जगह दिनेश कार्तिक का खेलना पक्का लग रहा है। सेंचुरियन में पार्थिव का प्रदर्शन विकेट के पीछे औसत रहा था।
हौसला बढ़ाने वाला रेकॉर्ड
वॉन्डरर्स पर भारत का रेकॉर्ड जोरदार रहा है। इससे विराट ऐंड कंपनी का इससे हौसला जरूर बढ़ेगा। भारत ने इस मैदान पर अभी तक चार टेस्ट मैच (नवंबर 1992, जनवरी 1997, दिसंबर 2006 और दिसंबर 2013) खेले हैं और उसे एक में भी हार का सामना नहीं करना पड़ा है। यहां उसने चार में से एक टेस्ट में तो मेजबानों को पछाड़ा भी है, जबकि बाकी तीन मैचों मे उसने साउथ अफ्रीका को ड्रॉ पर रोका है। भारत ने यहां 2006 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टेस्ट जीता था जिसमें पेसर एस. श्रीसंत ने 99 रन देकर आठ विकेट लिए थे।
सोचा था क्या और क्या हो रहा…
टीम इंडिया जिस जीत के रथ पर सवार हो कर साउथ अफ्रीका पहुंची थी, वह रथ टूट चुका है। कुछ दिनों में ही हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। छह महीने पहले भारतीय टीम ने श्रीलंका पर 3-0 की जीत के साथ इतिहास रचा था। तब हेड कोच रवि शास्त्री ने अपनी टीम की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा था, ‘पिछले 20 सालों में कई बड़े नाम भारत के लिए खेले, वे यहां (श्रीलंका) भी खेलने आए, लेकिन वे भी ऐसा कभी नहीं कर सके लेकिन इस टीम ने कर दिखाया।
विराट ने कहा कि जो काम कई बड़ी टीमें नहीं कर सकीं वह यह टीम करेगी और वह भी विदेशी धरती पर। हालांकि टीम इंडिया अब 0-3 से सीरीज हारने की कगार पर खड़ी है। अभी तक साउथ अफ्रीकी सरजमीं पर कोई भी भारतीय टीम 0-3 सीरीज नहीं हारी है। भारत 1992 से अब तक छह बार साउथ अफ्रीका का दौरा कर चुका है और 1996-97 में सचिन तेंडुलकर की कप्तानी में 0-2 से हारा था। 2006 के बाद से पिछले तीन दौरों पर एक टेस्ट जीतने या ड्रॉ कराने में कामयाब रहा है।
‘पांच तेज गेंदबाज भी खेल सकते हैं’
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने मैच की पूर्व संध्या पर कहा कि तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन से टीम का हौसला बढ़ा है और उन्होंने तीसरे टेस्ट मैच में वॉन्डरर्स की हरी पिच पर केवल तेज गेंदबाजों के साथ उतरने के संकेत दिए। उनसे पूछा गया कि क्या भारत केवल तेज गेंदबाजों के साथ उतरेगा, उन्होंने कहा,’कुछ भी होने की संभावना काफी प्रबल है। जैसे मैंने कहा कि पिच पर काफी घास है। हम निश्चित तौर पर इस विकल्प पर गौर करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों टीमें इन विकल्पों पर गौर करेंगी।’
उन्होंने कहा, ‘विदेशी दौरों पर हमने बहुत कम मौकों पर दो टेस्ट मैचों में 40 विकेट हासिल किए। अगर गेंदबाज अपनी अच्छी भूमिका बरकरार रखते हैं तो इससे हमें फायदा मिलेगा। हमने अब तक 40 विकेट लिए हैं और हमें यह पता करने की जरूरत है कि इस टेस्ट मैच में भी 20 विकेट हासिल करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या हो सकता है।’