अद्धयात्म

खजाने के लिए खोदी बेगम की कब्र,अभी भी भटक रही है आत्मा

malcha5-1454135464स्तक टाइम्स एजेन्सी/  क्या भूत-प्रेतों का अस्तित्व है? यह सवाल उतना ही पुराना है जितनी हमारी धार्मिक मान्यताएं। हर धर्म की पवित्र किताबों में किसी ऐसी शक्ति का उल्लेख अवश्य आता है जो नकारात्मक कार्य को बढ़ावा देती है। 
 
कोई किताब इसे शैतान कहती है तो किसी में इसे भूत-प्रेत की संज्ञा दी गई है। आधुनिक विज्ञान स्पष्ट रूप से भूतों के अस्तित्व को नकारता है लेकिन कई वैज्ञानिकों ने इस संबंध में शोध किया है कि भूतों का अस्तित्व है या नहीं। 
 
उन सबके शोध किसी एक परिणाम का समर्थन नहीं करते। कुछ ऐसी ही मान्यता एक प्राचीन महल के बारे में भी है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां आज भी एक प्रेतात्मा भटक रही है। वहीं कुछ लो इससे उलट दावा करते हैं। 

यह कहानी है मालचा महल की जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पर एक प्रेतात्मा का साया है। मालचा महल दिल्ली के दक्षिण रिज के बीहड़ों में स्थित है। इस महल में रहने वाले लोगों का संबंध अवध के पूर्व राजघराने से है। इन्हें अवध राजवंश का राजकुमार और राजकुमारी कहा जाता है। 
 
हिंदुस्तान से राजशाही खत्म होने के बाद ही राजवंशों को अपनी पहचान और शक्ति बरकरार रखने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। घटता रुतबा और बढ़ती चुनौतियां कई राजवंशों के अस्तित्व व भविष्य पर प्रश्न चिह्न लगा चुकी हैं।
 
मालचा महल भी रुतबे, शौहरत, दौलत और दुर्भाग्य की दास्तां का दूसरा नाम है। कभी इस महल की ताकत बुलंदियों पर थी लेकिन आज यह गुमनामी की जिंदगी बसर कर रहा है। अवध के पूर्व राजवंश की बेगम विलायत महल भी कभी यहां रहती थी। उन्होंने 10 सितंबर 1993 को आत्महत्या कर ली थी। आज मालचा महल पूरा खंडहर हो चुका है और इसे देखने मात्र से मन में भय की सिहरन दौड़ जाती है, लेकिन कभी यह ऐसा नहीं था। 
 

महल का निर्माण करीब 700 साल पूर्व फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था। यह महल उनकी शिकारगाह हुआ करता था। मालचा महल एक पहाड़ी पर बना है। कभी यह बहुत सुंदर इमारत हुआ करती थी लेकिन वक्त के थपेड़ों ने इसकी खूबसूरती छीन ली। इसलिए अब यह एक भुतहा महल लगता है। 
 
यह भी माना जाता है कि महल से कई बार रोने और सिसकने की आवाजें आती हैं। बेगम विलायत महल की आत्महत्या के बारे में लोगों का कहना है कि वे गुमनामी की जिंदगी और अपना रुतबा घटने से मानसिक रूप से परेशान थीं। इसलिए उन्होंने आत्महत्या की थी।
 

बेगम विलायत महल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अंगूठी से हीरा तोड़कर खा लिया था। उनकी मौत के बाद उन्हें दफना दिया गया। 1994 में उनकी कब्र को दोबारा खोला गया। यह काम किसी खजाने की उम्मीद में किया गया था। 
 
जब कुछ भी हासिल नहीं हुआ तो उनके शरीर को जला दिया गया। राजकुमार और राजकुमारी लोगों से मिलना पसंद नहीं करते और आम लोगों से दूर इस महल में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। बहरहाल, मालचा महल अपने सीने में कितने राज छुपाए है, यह सिर्फ वही जानता है।
 
 

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