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खडूरसाहिब उपचुनावः शिअद जीता, सिद्धू नहीं कर पाए खास

punjab-election-56c3eda831e0a_exlदस्तक टाइम्स एजेंसी/खडूर साहिब उपचुनाव में सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने शानदार जीत दर्ज की है। वहीं, आप के बागी सिद्धू कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। शिअद के उम्मीदवार व सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के बेटे रविंदर ब्रह्मपुरा ने कांग्रेस के बागी भूपिंदर सिंह बिट्टू को 65664 मतों के भारी अंतर से हराया।

उपचुनाव में भारी संख्या में लोगों ने नोटा को प्राथमिकता दी है। मंगलवार को मतगणना के बाद चुनाव आयोग ने नतीजों का एलान किया। पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी वीके सिंह ने बताया कि कुल 109593 वैध वोट पड़े थे। इनमें से ब्रह्मपुरा को 83080 वोट मिले। जबकि, उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भूपिंदर बिट्टू को सिर्फ 17416 वोट मिले।

दिलचस्प बात यह रही कि हलके में तीसरे स्थान पर लोगों ने नोटा (नन ऑफ द अवब) को तरजीह दी। 2252 वोटरों ने चुनाव के दौरान नोटा का बटन दबाया। वहीं आम आदमी पार्टी से अलग होकर पंजाब सांझीवालता मंच बनाने वाले डॉ. सुमेल सिद्धू खास प्रदर्शन नहीं कर सके। उन्हें सिर्फ 2243 वोटों पड़े।

जबकि, चुनाव प्रचार के आखिरी दिन गायक रब्बी शेरगिल ने उनके हक में कई गांवों में प्रचार किया था। दूसरी ओर, बहुजन समाज पार्टी (अंबेडकर) केपूरन सिंह को 1815 वोट मिले। आजाद उम्मीदवारों अनंतजीत सिंह संधू को 1621, सुखदेव सिंह खोसला को 677 और हरजीत सिंह को 489 वोट मिले।

खडूर साहिब की सीट कांग्रेस विधायक रमनजीत सिंह सिक्की के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। सिक्की ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूपों की बेअदबी की घटनाओं केबाद पिछले साल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आम आदमी पार्टी ने पहले ही एलान कर दिया था कि वह उपचुनाव नहीं लड़ेगी। बाद में कांग्रेस ने भी चुनाव न लड़ने का एलान किया। पार्टी की दलील थी कि जिन मुद्दों को लेकर सिक्की ने इस्तीफा दिया, वह अभी भी मौजूद हैं।

लोगों ने शांति पर जताया भरोसा
खडूर साहिब उपचुनाव की जीत शांति, सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे और विकास के एजेंडे की जीत है। यह परिणाम 2017 में शिअद-भाजपा की होने वाली जीत का नींव पत्थर है। यह नकारात्मक विचारों की सियासत के खिलाफ शक्तिशाली जनादेश भी है, जिन्होंने हाल ही में शांति और पंजाब विरोधी सरगर्मियों द्वारा अस्थिरता पैदा कर राज्य की प्रगति में रुकावट डालने का प्रयास किया था।
-प्रकाश सिंह बादल, मुख्यमंत्री पंजाब

बादलों का और बादलों के लिए था चुनाव
खडूर साहिब उपचुनाव के नतीजे महत्वहीन हैं। इन नतीजों से सीएम प्रकाश सिंह बादल केअलावा किसी को फर्क नहीं पड़ने वाला। यह चुनाव बादलों का, बादलों द्वारा और बादलों के लिए था। इसे सिर्फ बादल ही लड़ रहे थे, क्योंकि कोई भी चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं था। चिंता की बात है कि जिन मुद्दों के चलते उपचुनाव हुआ, वे अभी तक नहीं सुलझे हैं। बादलों की अलोकप्रियता का असली टेस्ट एक साल बाद होगा। असली लड़ाई 2017 में लड़ी जाएगी।

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