खरमास के माह में जरुर दें सूर्यदेव को अर्घ्य, मिलेगा शुभ फल
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हिन्दू धर्म में पंचदेव बताए गए हैं, जिनकी पूजा रोज करनी चाहिए। इनमें गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, मां दुर्गा और सूर्यदेव शामिल हैं। रोज सुबह सूर्यदेव के दर्शन करने से कुंडली के सूर्य और अन्य ग्रहों के दोष दूर हो सकते हैं। सूर्य साक्षात दिखाई देने वाले भगवान (Kharmas) माने जाते हैं।
आपको बता दें कि16 दिसंबर 2018 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की नवमी से मलमास (Kharmas) शुरु हो जाएगा और 14 जनवरी 2018 पौष शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि तक रहेगा। मलमास को खरमास भी कहा जाता है। जब भी सूर्य गोचर करते हुए धनु और मीन राशि में जाते हैं तब उन महीनों को मलमास कहा जाता है। यह अवधि ज्योतिष में शुभ नहीं मानी जाती है। लेकिन खरमास यानी मलमास में सूर्य के नामों का स्मरण करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। कहा जाता है की खरमास में सूर्य की पूजी जरूर करनी चाहिए। इस महीने में सूर्य को अर्घ्य देकर इनके 12 नाम जरुर पढ़ना चाहिए, इससे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है और हर तरह के कार्यों के आपको शुभ फल मिलते हैं।
पूजन विधि और मलमास का महत्व
सुबह जल्दी उठकर नहाने के सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल, लाल फूल, लाल चंदन भी डालें। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाएं। इस दौरान सूर्य मंत्र ‘ऊँ सूर्याय नम:’ का जाप करें।
क्या है खरमास
सूर्य देव 16 दिसंबर को गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेंगे, इसी के साथ खरमास शुरू हो जाएगा। जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते हैं, उस समय को खरमास कहा जाता है। खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। खरमास 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहेगा। पंडित राजदीप शर्मा ने बताया कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की नवमी को सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग में 16 दिसंबर को सुबह 9.09 बजे सूर्यदेव गुरु की धनु राशि में प्रवेश करेंगे।
धनु राशि में पहुंचकर वे वहां पहले से मौजूद अपने पुत्र शनि के साथ युति बनाएंगे। दोनों पिता-पुत्र एक साथ धनु राशि में 30 दिन तक रहेंगे। खरमास में सूर्यदेव के रथ को घोड़ों की जगह गधे खींचते हैं। रथ की गति धीमी होने के कारण सर्दी अधिक पड़ती है। ऐसी मान्यता है कि इस समय देव गुरु बृहस्पति और सूर्य भगवान में मंत्रणा चलती है। इस कारण दोनों देवता शुभ कार्य में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। इन दोनों ग्रहों की अनुपस्थिति में मांगलिक कार्यक्रम संभव नहीं है।
सूर्य को माना जाता है ग्रहों का राजा
ज्योतिष के अनुासार 12 ग्रह होते हैं और सूर्य को इनका राजा माना जाता है। ऐसे में माना जाता है कि सूर्य देव की साधना करने से बाकि ग्रह भी आपको परेशानी नहीं पहुंचाते। वेदों में सूर्य को संसार की आत्मा माना गया है। ऋग्वेद के देवताओं कें सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद के अनुसार सूर्य को भगवान का नेत्र माना जाता है। छान्दोग्यपनिषद के अनुसार सूर्य की ध्यान साधना करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप मानता है।
राम भगवान भी करते थे सूर्य पूजा
भगवान राम सूर्य पूजा करते थे वहीं महाभारत में कर्ण भी हर रोज सूर्य की पूजा करते थे और सूर्य को अर्घ्य देते थे। ऐसा माना गया है कि इससे व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है और भाग्योदय में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।