खांसी ठीक पर सिरदर्द जारी
व्यवस्था परिवर्तन करने निकली कुछ लोगों की जमात जनता के सहयोग से सत्ता में तो आ गए लेकिन अब सब हाथ से निकलता दिख रहा है। कभी मंत्री तो कभी विधायक तो कभी पार्टी के मुख्य कर्ताधर्ता कोई न कोई मफलरमैन के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालने के बाद चले लम्बे इलाज से उनकी खांसी तो ठीक हो गई, लेकिन विधायकों और मंत्रियों की कारगुजारियों से सांस का फूलना अब भी जारी है। पार्टी के विधायक जेल के सलाखों के पीछे हैं तो मंत्री भी। ऊपर से सरकार के सिर पर बैठे लोग उनसे हर मुद्दे पर ‘जंग’ करने से नहीं चूक रहे हैं। देश का दिल कहे जाने वाले प्रदेश की पुलिस को लेकर उनकी आये दिन चिकचिक होती ही रहती है। जो पत्थर वे उठाकर दूसरे की ओर मारते हैं वह थोड़े ही समय बाद पलटकर उन्हीं को आ लगता है। दरअसल, उन्हें प्रचण्ड बहुमत देने वाली जनता भी सरकार की कार्यप्रणाली को देखकर अब अपने किए पर पछता रही है। ऊपर से जब बिना विभाग वाले मुख्यमंत्री अपनी तुलना पूर्व महिला मुख्यमंत्री से करने लगते हैं तो जनता को यह कतई नहीं भाता है।