भारत में बच्चों के स्मार्टफोन इस्तेमाल को लेकर किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइजरी जारी नहीं होती है। ऐसे में अभिभावकों को पता ही नहीं चलता कि कैसे स्मार्टफोन उनके बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन, दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां वक्त-वक्त पर अभिभावकों के लिए मेडिकल एडवाइजरी जारी होती है। इनमें इंग्लैंड भी शामिल है। इंग्लैंड में बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखने के लिए अभिभावकों के लिए एक मेडिकल एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि सोते वक्त और खाते वक्त अभिभावक अपने बच्चों को स्मार्टफोन पर हाथ भी न लगाने दें। यह मेडिकल एडवाइजरी बच्चों के स्क्रीन टाइम और ऑनलाइन व्यवहार को लेकर जारी की गई है।
अभिभावकों को सोते वक्त बच्चों के बेडरूम से स्मार्टफोन को बाहर कर देना चाहिए।
इस मेडिकल एडवाइजरी को इंग्लैंड, नॉर्थरन आइलैंड, वेल्स और स्कोटलैंड के लिए जारी किया गया है। इस तरह के शोध पहले भी आए हैं जिनमें कहा गया है कि सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। हालांकि, अभी यह क्लियर नहीं है कि क्या टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना हानिकारक है। इंग्लैंड के चीफ मेडिकल ऑफिसर प्रोफेसर डैम सैली डेविस का कहना है कि बच्चों के कौशल और विकास के लिए ऑनलाइन टाइम बीताना लाभकारी है लेकिन हमारी यह सलाह है कि बच्चों को सोते वक्त और खाना खाते वक्त स्मार्टफोन डिवाइस बिल्कुल भी न दें। बच्चों के लिए भरपूर नींद बेहद जरूरी है। इसलिए, अभिभावकों को सोते वक्त बच्चों के बेडरूम से स्मार्टफोन को बाहर कर देना चाहिए।
बच्चों के ऑनलाइन या स्मार्टफोन पर देखे गए कुछ कंटेंट ने उन्हें खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या की तरफ भी बढ़ाया है
डॉक्टर बर्नक्का डबिका ने इंग्लैंड में अभिभावकों के लिए जारी एडवाइजरी को सही बताया है। उनका कहना है कि शोध में इन बातों का पता चला है कि ऑनलाइन और मोबाइल पर बिताए गए वक्त की वजह से बच्चों का विकास बाधित हो रहा है। यह भी साफ है कि बच्चों के ऑनलाइन या स्मार्टफोन पर देखे गए कुछ कंटेंट ने उन्हें खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या की तरफ भी बढ़ाया है। भारत में बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार को लेकर बहुत कम एडवाइजरी जारी होती हैं। विदेशों में वक्त-वक्त पर अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी होती रहती है।