खादी का लिबास मिलते ही दबंग हो गए जनाब
लखनऊ। करीब पांच हजार साल पुराने बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में चुनावी सरगर्मी को देखकर लगाता है कि पूर्वांचल की इस धार्मिक नगरी में सिर्फ चुनाव नहीं युद्ध लड़ा जा रहा है। राजनीतिक दलों का पहला और अंतिम लक्ष्य है जीत। किसी भी कीमत पर और किसी भी जरिए से इसके लिए सब कुछ जायज है। कई सालों से जेल में बंद हत्यारोपी माफिया मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल (कौएद) द्वारा कांग्रेस के दबंग उम्मीदवार अजय राय का समर्थन करने संबंधी किए गए ऐलान को लेकर शहर के लोगों का यह मत है।वास्तव में वाराणसी के लोगों को मुख्तार अंसारी के दल का अजय राय को समर्थन करना हजम नहीं हो रहा। यहां के लोग मुख्तार और अजय राय की ताजी सियासी जुगलबंदी से भौंचक्क हैं। अजय राय के भाई की हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा था। इस चुनाव के पहले तक ये दोनों एक दूसरे के खिलाफ थे। परंतु अब वाराणसी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को शिकस्त देने के लिए वे एक-दूसरे का साथ देने-लेने की बात कर रहे हैं। दो दबंगों का यह साथ सिर्फ चुनाव तक के लिए है या बाद में भी रहेगा इसे लेकर शहर के लोग एकमत नहीं हैं जिसके चलते खादी का लिबास पहने वाले इन दबंगों की बात मानकर वाराणसी का मुस्लिम समाज कांग्रेस के पक्ष में खड़ा होने के पक्ष में नहीं है। हालांकि बीते लोकसभा चुनावों में मुसलमानों ने मुख्तार अंसारी का साथ दिया था। शहर के इस बदले माहौल को लेकर पूर्वांचल की राजनीति से जुड़े अजय त्रिवेदी कहते हैं कि मुख्तार अंसारी ने अजय राय को समर्थन देने का राजनीतिक दांव अपने फायदे के लिए चला है। अजय त्रिवेदी के अनुसार मुख्तार घोसी संसदीय सीट तथा मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों सीटों पर राय (भूमिहार) मतदाताओं की संख्या काफी है। इनका वोट पाने के लिए मुख्तार अंसारी ने अजय राय का वाराणसी में समर्थन करने का दांव चला है। मुख्तार का नया दांव राजनीति और अपराध के लज्जाजनक गठबंधन का नया पैंतरा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशुतोष मिश्र भी राजनीति की दबंगों की ऐसी पहल पर चिंता जताते हैं। आशुतोष के अनुसार पूर्वांचल में राजनीतिक दलों ने अपराधियों को अपना नेता मान लिया है। इस मामले में कोई दल अपवाद नहीं। जिन अजय राय का समर्थन आज माफिया मुख्तार अंसारी कर रहे हैं। वह बीते लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर वाराणसी सीट से उम्मीदवार थे। भाजपा के टिकट पर भी अजय राय विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं जबकि अजय राय के खिलाफ हत्या के प्रयास हिंसा भड़काने हमला करने सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न थानों में कुल 16 मामले दर्ज हैं। उनके खिलाफ गैंग्स्टर एक्ट और गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई हो चुकी है। जेल में भी वह कई बार बंद किए गए। अजय राय के विरोधी माने जाने वाले मुख्तार अंसारी तो कई वर्षों से जेल में ही बंद हैं। फिर भी वह जेल में बंद रहते हुए ही चुनाव जीतते हैं और विधायक बन जाते हैं। इसे लेकर मुख्तार अंसारी और अजय राय को कोई संकोच नहीं है।