खाली झोला लेकर आए बाबा 5 साल में बन गए करोड़पति, सच्चाई चौंका देगी
सवाल यह है कि खाली झोला लेकर हिमाचल आए बाबा के पास इतना धन और गाड़ियां कहां से आईं। कंडाघाट के साधुपुल का रामलोक मंदिर और यहां रह रहे बाबा अमरदेव खासा चर्चा में हैं।
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‘अमर उजाला’ ने पूरे मामले की तफ्तीश के लिए मौके का जायजा लिया ग्रामीणों ने बताया कि बाबा से मिलने कई रसूखदार लोग आते थे। इनमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के कई नेता, प्रशासनिक अधिकारी और न्यायिक सेवा से जुड़े लोग भी शामिल हैं।
बाबा ने गांव के बाहर सड़क किनारे खाली पड़ी जमीन पर एक कुटिया बनाई और उसमें रहने लगे। करीब एक साल कुटिया में रहकर संन्यासी धर्म का पालन किया। अचानक अगले तीन साल में इतने बदलाव हुए कि वे राजनीतिक पार्टियों के बीच चर्चित हो गए।
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एक के बाद एक तीन महंगी गाड़ियों के मालिक बन गए। साथ ही भव्य मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया। शुरुआत में लोगों को बाबा की रहनुमाई पसंद आई। ग्रामीण भी भव्य मंदिर निर्माण से खुश थे, लेकिन तालमेल ज्यादा नहीं चल पाया।
अब वे आलीशान गाड़ियों के मालिक हैं। बाबा अमरदेव के कथावाचक के सेवादार होने और आश्रम में बर्तन धोने की पुष्टि श्रीरामलोक मंदिर समिति के अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह ठाकुर ने भी की है।
बाबा ने एक भी गाड़ी अपने पैसों से नहीं खरीदी। जो लोग आते थे, बाबा उन्हें सिर्फ मंदिर निर्माण के लिए दान देने को कहते थे। इसी दान से यह निर्माण हो रहा था।
2019 तक था मंदिर निर्माण का संकल्प
लक्ष्मी सिंह ने बताया कि बाबा अमरदेव ने वर्ष 2019 तक मंदिर के पूर्ण निर्माण का संकल्प लिया था। यह संकल्प पूरा होने से पहले ही विवाद बढ़ गया। मंदिर पूरा हो जाता तो यहां रोजगार के साधन खुल सकते थे।
मंदिर में किसी भी तरह की गतिविधि नहीं चल रही है। बाबा की तीनों लग्जरी गाड़ियां मंदिर परिसर में खड़ी हैं। जहां बाबा अमर देव रहता था, उस कुटिया को भी सील कर दिया गया है।
पुलिस तैनात है : एसपी
पुलिस अधीक्षक अंजुम आरा ने बताया मंदिर की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। वहां नियमित रूप से गार्द तैनात है, ताकि कोई किसी भी तरह का विवाद न हो।
बाबा और ग्रामीणों के बीच हुई मारपीट और सरकार जमीन पर बाबा के कब्जे की जांच के लिए तीन दिन पहले आईजी जहूर हैदर जैदी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। कमेटी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। रिपोर्ट पहुंचने के साथ ही बाबा को संरक्षण देने के आरोपों में घिरी सरकार के पाले में गेंद आ गई है।
जांच टीम ने घटनास्थल के अलावा, राजस्व अभिलेखों और सरकारी अधिकारियों के अलावा बाबा अमरदेव और विपक्ष के करीब तीस से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए हैं। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनसे बाबा के
सरकारी जमीन हड़पने और लोगों से हुई मारपीट के प्रकरण में बाबा की गलती सामने आई है। आरोप है कि उन्होंने तलवार से एक महिला पर जानलेवा हमला किया। रिपोर्ट मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई पर निर्णय लेना है।
बाबा से अस्पताल में सरकार के कई मंत्रियों की मुलाकात के बाद पूरे थाने को ही स्थानांतरित कर दिया गया। इस प्रकरण के बाद से ही सरकार पर बाबा को संरक्षण देने के आरोप लग रहे थे। हालांकि, सार्वजनिक मंचों पर खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बाबा को संरक्षण देने की बात से इंकार करते रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि बाबा के खिलाफ लोगों के आक्रोश को देखते हुए ही सरकार बैकफुट पर आ गई थी और आईजी जहूर जैदी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी को रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। अब रिपोर्ट पहुंचने के साथ ही सरकार पर बाबा प्रकरण में निष्पक्ष कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।
मारपीट के प्रकरण में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बाबा को पुलिस प्रोटेक्शन मुहैया कराई गई है। वर्तमान में हिमाचल पुलिस के दो जवान बाबा के साथ सुरक्षा में तैनात है, जबकि आधा दर्जन पुलिस कर्मी आश्रम की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं।