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नोटबंदी के बाद से बढ़ गया है काले धन पर शिकंजा
नोटबंदी के बाद से काले धन पर आईटी डिपार्टमेंट ने शिकंजा काफी बढ़ा दिया है। ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट काफी सारे ऐसे लोगों का पता लगा चुका है, जिन्होंने बड़े ट्रांजेक्शन के बारे में जानकारी नहीं दी है।
जेटली ने किया था इशारा
वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से नकद लेन-देन करना मुश्किल होगा। इससे कर अनुपालन बेहतर होगा और कर का दायरा बढ़ेगा। जेटली ने 23 जुलाई को कहा था कि सरकार विदेश में काला धन रखने और देश के अंदर काला धन में धंधा करने वालों तथा मुखौटा कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए कानून लेकर आई है।
दिल्ली इकोनॉमिक कॉनक्लेव में वित्त मंत्री ने कहा कि देश ने कर अनुपालन नहीं होने के ढेरों मामलों और बड़े पैमाने पर सिस्टम के बाहर होने वाले लेन-देन जैसे भारतीय चलनों का समाधान ढूंढ़ लिया है। उन्होंने कहा, ‘इस स्थिति से निपटने में करीब करीब बेबसी सी नजर आती रही है।
हर साल वित्त विधेयक के जरिये हम कुछ बदलावों की घोषणा करते थे जिसका बहुत ही आंशिक असर होता था। मैं समझता हूं कि इन आंशिक बदलावों का स्थायी असर कोई बहुत बड़ा नहीं था।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, एक बड़ा बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए जाने थे।
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संपूर्णता में देखने पर (हम पाते हैं कि इस) सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का दीर्घकालिक प्रभाव होगा तथा इसके पीछे व्यापक नैतिक औचित्य होगा।’ वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि सरकार इलेक्शन बॉन्ड के मैकेनिज्म को लेकर सक्रियता से काम कर रही है। सरकार ने राजनीतिक दलों को चंदा देने की पूरी प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाने के लिए बजट में ‘इलेक्शन बॉन्ड’ की घोषणा की थी।
जेटली ने कहा कि अभी तक कोई भी राजनीतिक दल इस बारे में सुझाव देने के लिये आगे नहीं आया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक चंदा देने के मामले में पारदर्शिता लाने के ध्येय से इस साल के बजट में राजनीतिक दलों को नकद राशि के रूप में चंदा देने की सीमा 2,000 रुपये तय कर दी थी। साथ ही बड़ी राशि का चंदा देने के लिए चुनाव बॉन्ड शुरू करने की घोषणा की थी।