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खूबियां जो शिवाजी को बनाती हैं भारत की महान हस्ती

shivaji-1459655183एजेन्सी/महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार छत्रपति शिवाजी 16 साल की उम्र में ही ठान चुके थे कि मुगलों का दमन करना है। इसके लिए शिवाजी ने बीजापुर के पास छोटे इलाकों को जीतना शुरू किया। इनके युद्ध कौशल से घबराए आदिलशाह सुल्तान ने इन्हें मारने के  लिए सेना भेजी लेकिन विफल रहे। शिवाजी के प्रभुत्व को समाप्त करने के लिए मुगल बादशाह औरंगजेब ने सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में एक लाख सैनिकों की फौज भेजी। लेकिन कुशल कूटनीति से शिवाजी ने उन्हें समझौते पर मजबूर कर दिया। उन्होंने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति की उपाधि मिली।  

मां जीजाबाई को बनाया गुरु

पिता शाहजी भोंसले की शूरवीरता से पे्ररित शिवाजी ने मां जीजाबाई से राजनीति और युद्ध कौशल सीखा। स्वभाव से धार्मिक जीजाबाई ने हिंदू ग्रंथ रामायण व महाभारत पढ़ाकर उन्हें धार्मिक मूल्य समझाए। शिवाजी इनसे जीवनभर प्रभावित रहे और अक्सर अपना खाली समय संतों के बीच बिताते थे। 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग (पुणे) में जन्मे शिवाजी का विवाह दस वर्ष की उम्र में सइबाई निम्बालकर के साथ हो गया था। इतिहासकारों के मुताबिक शिवाजी की मृत्यु 3 अप्रैल, 1680 में हुई थी।

जीवन से जुड़ी खास बातें 

1. छत्रपति शिवाजी का नाम कुलदेवी शिवायी के नाम पर रखा गया था।

2. शिवाजी की सेना में ज्यादातर किसान व अप्रशिक्षित थे जिन्हें उन्होंने प्रशिक्षित किया।

3. पिता के साम्राज्य से मिले 2 हजार सैनिकों की सेना को रणनीति के दम पर 10 हजार सैनिकों में तब्दील किया। 

4. समुद्री रास्ते से हमले रोकने के लिए इन्होंने वहां खास सेना तैनात की थी।

रणनीतिज्ञ

छत्रपति शिवाजी को कुशल रणनीतिकार माना जाता है। युद्धकला में उन्होंने कई प्रयोग किए। छापामार युद्ध की नई शैली शिवसूत्र से कई युद्ध जीते।  इसमें आक्रमण के समय दुश्मन की आगे व पीछे से ऐसी घेराबंदी की जाती थी कि वह हथियार डाल देता था। शत्रु इससे घबराते थे। 

शिष्टाचारी

उन्हें शिष्टाचार और अनुशासन से छेड़छाड़ बिल्कुल पसंद नहीं था। अपने कार्यकाल में उन्होंने हिंदू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया। साथ ही फारसी के स्थान पर मराठी व संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया।

कुशल योद्धा

यह छत्रपति शिवाजी के युद्ध कौशल की ही खूबी थी कि जब बीजापुर का शासक आदिलशाह उन्हें नहीं पकड़ सका तो उसने शिवाजी के पिता शाहजी को बंदी बना लिया। शिवाजी ने नीति और साहस की बदौलत छापामारी हमला किया और पिता को कैद से आजाद करा लिया। 

रुतबा 

जब  शिवाजी ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अधिकार जमाया, तभी उनके नाम और काम की दक्षिण में धूम मच गई। यह खबर आग की तरह आगरा और दिल्ली तक जा पहुंची। हालत यह थी कि वहां के शासक उनका नाम सुनते ही सहम जाते थे। 

स्त्री सम्मान

उन्होंने महिलाओं को कभी बंदी नहीं बनाया। उनका आदेश था कि सेना कुछ भी ऐसा न करे जिससे महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचे। साथ ही महिलाओं से किसी भी तरह की बदसलूकी करने वाले आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने का प्रावधान भी  रखा गया था।

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