नई दिल्ली : युवा क्रिकेटर पृथ्वी शॉ के साथ ही दो अन्य क्रिकेटरों के डोप टेस्ट में फेल होने के बाद बीसीसीआई कटघरे में है. खेल मंत्रालय ने बीसीसीआई को नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) के नियमों को मानने के लिए कहा है. बीसीसीआई लंबे समय से इस मसले पर सरकार के खिलाफ खड़ा रहा है. उसका दावा है कि उसके पास क्रिकेट को डोपिंग से मुक्त रखने के लिए जरूरी संसाधन है और वह इसमें कामयाब भी रहा है. लेकिन खेल मंत्रालय की ओर से 22 जून को भेजे गए पत्र में इस दावे की धज्जियां भी उड़ाई गई हैं. खेल मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा है, ‘बीसीसीआई का भारतीय क्रिकेट को साफ और डोपिंग मुक्त रखने के लिए विस्तृत तंत्र होने का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है. 2018 में बीसीसीआई ने 215 सैंपल नेशनल डोप टेस्टिंग लेबोरेट्री में भेजे थे. इनमें से 5 पॉजीटिव थे, लेकिन इस बात की कोई खबर नहीं है कि ये नमूने किसके थे और इनसे कैसे निपटा गया.’ पृथ्वी शॉ पर भी जो कार्रवाई की गई है वह खेल मंत्रालय के लेटर के बाद की गई है. शॉ का सैंपल इंदौर में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान 22 फरवरी 2019 को लिया गया था. इसमें प्रतिबंधित पदार्थ पाया गया है. लेकिन उन पर कार्रवाई 5 महीने बाद हुई. शॉ इस दौरान आईपीएल में खेलते रहे और इंडिया की जूनियर टीम में भी उन्हें चुना गया था. लेकिन बाद में ‘चोट’ के चलते वह शामिल नहीं हो पाए थे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीसीसीआई ने कार्रवाई खेल मंत्रालय के पत्र के दबाव में की. बीसीसीआई की पिछले एक साल की कार्रवाई पर नजर डाली जाए तो बीसीसीआई पर संदेह बढ़ता है. गौरतलब है कि 2018 में दो भारतीय क्रिकेटरों को बीसीसीआई ने डोपिंग के चलते सस्पेंड किया था. पहले युसुफ पठान और फिर पंजाब के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज अभिषेक गुप्ता डोप टेस्ट में नाकाम रहे थे.
पठान को दिल्ली में एक घरेलू मैच के दौरान डोप टेस्ट में पॉजीटिव पाया गया था. इसके बाद जनवरी 2018 में उन्हें पिछली तारीख से सस्पेंड किया गया था. पठान को 15 अगस्त 2017 से 14 जनवरी 2018 तक के लिए सस्पेंड किया गया था. आईपीएल 2018 से पहले उनका सस्पेंशन पूरा हो गया था. पठान पर कार्रवाई सैंपल लेने के लगभग 8-9 महीने बाद की गई. वहीं 2018 में पंजाब के अभिषेक गुप्ता भी डोप टेस्ट में फेल रहे थे. उन पर जून 2018 में 8 महीने का बैन लगा था. उन पर भी पुरानी तारीख से ही बैन लगाया गया था. अभिषेक पर भी कार्रवाई 5 महीने बाद की गई थी. इसके बाद अब पृथ्वी शॉ, राजस्थान के दिव्य गजराज और विदर्भ के अक्षय धुलरवार पर भी बैन लगाया है. गजराज पर आंख की चोट की दवा में प्रतिबंधित पदार्थ लेने पर 6 और अक्षय पर इंफेक्शन की दवा में प्रतिबंधित वस्तु लेने पर 8 महीने का बैन लगाया गया है. दिलचस्प बात है कि पिछले दो साल में कुल 5 भारतीय खिलाड़ी डोप टेस्ट में फंसे हैं और इनमें से 3 के शरीर में खांसी की दवा के जरिए प्रतिबंधित पदार्थ गया. इसी तरह से 2016 में न्यूजीलैंड के बल्लेबाज ब्रेंडन मैक्कलम आईपीएल के दौरान डोप टेस्ट में फेल हो गए थे. उनके टेस्ट में भी टरबुटालिन का सेवन सामने आया था.