केंद्रीय मंत्री उमा भारती कहती हैं कि देशभर के बांधों से उतना पानी नदियों में जरूर छोड़ा जाना चाहिए जिससे नदी के प्रवाह का संतुलन बना रहे। बांध बनें या न बनें यह मेरा फैसला नहीं है, लेकिन नदियों के प्रवाह को लेकर केंद्र सरकार सख्त फैसला लेगी। इससे लगता है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार निश्चित तौर पर गंगा के लिए भी कुछ करेगी।
गोपाल सिंह, देहरादून
उत्तराखंड प्रवास पर आईं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड में सबसे पहले गंगा के स्वच्छ होने का दावा किया है। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखंड सरकार को भी निर्मल गंगा के लिए एक सप्ताह के भीतर इसका ब्लू प्रिंट बनाकर देने को कहा है, लेकिन यह इतना आसान नहीं लगता। सिर्फ हरिद्वार व ऋषिकेश की बात करें तो सौ से अधिक सीवरेज के नाले सीधे गंगा में गिर रहे हैं। इसके अलावा हरिद्वार में रोजाना घरों व होटलों से 90 एमएलडी सीवरेज गंगा में गिरता है, जबकि वहां पर सिर्फ 45 एमएलडी सीवरेज ही ट्रीटमेंट होता है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का दावा कि जल्द ही गंगा को निर्मल बना दिया जाएगा, यह दूर की कौड़ी साबित होने वाला है। हालांकि उन्होंने निर्मल गंगा के लिए बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने की भी बात कही है। वह चाहती हैं कि हरिद्वार में जनवरी 2016 में होने वाले अद्र्धकुंभ से पहले गंगा को निर्मल बनाने के कार्य धरातल पर शुरू हो जाएं। उन्होंने हरिद्वार में यह भी कहा है कि वह गंगा की निर्मलता के लिए ही दिव्य प्रेम सेवा मिशन आश्रम में पांच दिन तक भगवान श्रीराम की कथा श्रवण कर रही हैं। इसके अलावा हनुमान जी की भी पूजा कर रही हैं। उनका कहना है कि हनुमान व भगवान राम की कृपा से निर्मल गंगा अभियान में जल्द सफलता मिलेगी। इसी क्रम में उन्होंने उत्तराखंड सरकार से भी कार्य जल्द शुरू करने को कहा है।
अब इसके दूसरे पहलू पर नजर दौड़ाएं तो हाल ही में एक रिपोर्ट में साफ लिखा है कि गंगा में बेरोकटोक कितना सीवर व अन्य गंदगी डाली जा रही है। इससे पता चलता है कि इसे निर्मल करना कितनी बड़ी चुनौती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा में प्रतिदिन दो करोड़ 90 लाख लीटर कचरा व गंगा बेसिन में 12000 एमएलडी घरेलू सीवरेज गिर रहा है। उत्तराखंड के संदर्भ में देखें तो गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ से ही सीवरेज गंगा व उसकी सहायक नदियों में सीधे बहाया जा रहा है। इसके अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश समेत करीब एक दर्जन से अधिक शहर सीधे सीवरेज गंगा में डाल रहे हैं। इन शहरों से 150 एमएलडी सीवरेज गंगा में आता है, जिनमें से मात्र पचास फीसद ही ट्रीटमेंट होकर गिरता है, जबकि बाकी सीधे गिरता है। अब इस ओर सरकारें कब ध्यान देंगी कह पाना मश्ुिकल है। उत्तराखंड में हरिद्वार में 110 एमएलडी, ऋषिकेश में 18.43, मुनि की रेती 4.32, गोपेश्वर 2.97, टिहरी 3.86, श्रीनगर 5.1, जोशीमठ 3, उत्तरकाशी 3.15, गौचर 1.26, कर्णप्रयाग 1.18, रुद्रप्रयाग 1.33, कीर्तिनगर .22, नंदप्रयाग .23, बदरीनाथ 1.95 व देवप्रयाग .84 एमएलडी सीवरेज रोजाना गंगा व सहायक नदियों में गिर रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण राज्य व केंद्र सरकारों के बीच सामंजस्य की कमी, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की धीमी रफ्तार, गंगा के शुद्धिकरण के लिए ठोस रणनीति का अभाव, औद्योगिक प्रदूषित गंदगी के ट्रीटमेंट के लिए ठोस योजना का अभाव प्रमुख कारण है। इस बारे में हरिद्वार में स्वयं केंद्रीय मंत्री उमा भारती कहती हैं कि देशभर के बांधों से उतना पानी नदियों में जरूर छोड़ा जाना चाहिए जिससे नदी के प्रवाह का संतुलन बना रहे। बांध बनें या न बनें यह मेरा फैसला नहीं है, लेकिन नदियों के प्रवाह को लेकर केंद्र सरकार सख्त फैसला लेगी। इससे लगता है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार निश्चित तौर पर गंगा के लिए भी कुछ करेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि गंगा में चार बांध बने हैं। इनमें से दो नए हैं। दोनों के निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा गया है। उनका मंत्रालय इस मामले में सख्त निर्णय लेगा कि बाधों से नदी की लंबाई व चौड़ाई को देखते हुए पानी छोड़ा जाए। बांध बनने से किसानों को भी सिंचाई के लिए कम पानी मिलने लगा है। किसानों को भी अब नई तकनीक से कम पानी में खेती करने के गुर सीखने होंगे। उमा भारती ने निर्मल गंगा के बारे में राफ्टिंग से हो रही गंदगी पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने खुद स्वीकारा कि 144 गंदे नाले गंगा में गिर रहे हैं, इनको भी एक चैनल के जरिये गंगा से दूर रखा जाएगा। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में गंगा के अच्छे दिन आ सकते हैं। हालांकि इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। अब देखना यह भी होगा कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती इसमें कहां तक सफल हो पाती हैं। =