अद्धयात्म

गंगा-जमुनी चुनरी ओढ़ हुआ रुख्साना का ब्याह

nikah-रांची. झारखंड झारखंड में रविवार की रात शहर में एक ऐसी शादी हुई जिसमें यकीनन अल्लाह और ईश्वर दोनों की दुआएं नव दंपति पर बरसी होगी. हो भी क्यों नहीं, इस शादी में जहां मंदिर समिति के लोग सराती बने बेटी ब्याह की जिम्मेदरी निभा रहे थे वहीं, अजुमन इस्लामिया के लोग भी इस चिंता में थे लाडो की शादी में कोई कसर नहीं रह जाए.

हिरा मस्जिद के पास मिल्लत कॉलोनी की रुख्साना के ब्याह में गंगा-जमुनी संस्कृति की ऐसी ही छटा नजर आई. निकाह के दौरान मां से बार बार लिपट जाने वाली रुख्साना के पिता उसके पास नहीं खड़े थे. लेकिन परिजनों को यकीन है कि अब्बा हुजूर की रूह बिटिया की इतनी शानदार शादी से जरुर खुश हुई होगी. दुआएं देने कहीं आस पास ही खड़ी होगी.

शादी में उपहारों का अंबार रुख्‍साना उसी ऑटो चालक पिता की बेटी है जो कुछ दिनों पहले शहर में हुए तनाव के माहौल के दौरान अल्लाह को प्यारे हो गए थे. बताया जा रहा है कि बिटिया के दहेज के लिए सामान जुटाने के लिए ही वे रात में अतिरिक्त काम कर रहे थे. उनकी उम्र शायद नियति ने उस रात तक ही रखी थी. लेकिन ख्वाबों के पर नियति नहीं काट पाई.

उपहार में वह सब कुछ जुटा जो वे चाहते थे, या कहें उससे कहीं ज्यादा. टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, नकदी, डिनर सेट, कपड़े… कुछ कम नहीं. दरअसल, शुरुआत हुई पहाड़ी मंदिर समिति के व्‍हाट्सएप ग्रुप के एक संदेश से कि शादी में सहयोग की जरूरत है. फिर तो बस बिटिया की शादी में सब जुट गए.

पहाड़ी मंदिर समिति के सचिव एडीओ अमित कुमार, हरि जालान, अचल किंगर समेत बहुत से लोग, अंजुमन इस्लामिया के तनवीर अहमद आदि, झाविमो के खालिद आदि, मिल्लत पंचायत के जावेद अहमद, नौशाद खान आदि पंजाबी बिरादरी के विनय सिन्‍हा दीपू, टिंकू सरदार, भाजपा के संजय सेठ आदि जैसे लोग तब तक जुटे रहे जब तक रुख्‍साना विदा नहीं हो गई.

बहरहाल, शहर में बैंड बाजा बारात के मौसम के आगाज के साथ लगातार दो ऐसी शादियां हुई जिसमें इंसानियत धर्म और सरकार से ऊपर नजर आई. पिछले दिनों जहां सफाईकर्मी की बेटी की शादी में सीएम रघुवर दास शरीक हुए वहीं रुखसाना की शादी में हिंदू-मुस्लिम की सीमा रेखा से ऊपर उठ कर लोगों ने जता दिया कि यही है अमन पसंद शहर की संस्कृति.

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