गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग निदेशालय बनाने के लिए ली जाएगी सिचाई विभाग की जमीन
यूपी कैबिनेट ने लिए कई निर्णय
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में गंगा बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्रीय निदेशालय बनाने के लिए सिचाई विभाग की जमीन ली जाएगी। इसके अलावा कई और निर्णय भी लिये गए। जल संसाधन मंत्री, भारत सरकार एवं सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री, उ0प्र0 के मध्य दिनांक 20 दिसम्बर, 2014 को सम्पन्न बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि लखनऊ में जी0एफ0सी0सी0 का क्षेत्रीय निदेशालय खोला जाए। इस निदेशालय के निर्माण हेतु सिंचाई विभाग द्वारा लखनऊ में 2 स्थानों पर भूमि दिये जाने का सुझाव दिया गया था, जिसमें से वाल्मी कैम्पस के पास स्थित भूमि को उपयुक्त पाया गया। इस सम्बन्ध में कुल पांच वर्ग मीटर (कार्यालय हेतु 1500 वर्ग मीटर एवं आवास हेतु 3500 वर्ग मीटर) भूमि की आवश्यकता है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उ0प्र0 की ग्राम-हैवतमऊ, मवैया, तहसील एवं जनपद-लखनऊ में लखनऊ खण्ड-2, शारदा नहर, लखनऊ के नियंत्रणाधीन 5000 वर्गमीटर भूमि शहरी क्षेत्र में स्थित होने के कारण जिलाधिकारी द्वारा निर्गत सर्किल रेट 7000 रुपये प्रति वर्ग मीटर का दो-गुना यानी 14000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 7,00,00,000 (रुपये सात करोड़ मात्र) का भुगतान सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को किये जाने के उपरान्त गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग भारत सरकार, लखनऊ को भूमि अन्तरित किये जाने का निर्णय हुआ है।
उ0प्र0 पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के कार्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल हुई
उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम लि0 लखनऊ में कार्यरत कार्मियों की सेवा निवृत्ति हेतु अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किये जाने के सम्बन्ध में निगम के कार्मिक श्री चन्द्रपाल द्वारा मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, लखनऊ बेंच, लखनऊ में दायर रिट याचिका संख्या-24968 (एस0एस0)/2016, रिट याचिका संख्या-27571/2016 तथा रिट याचिका संख्या-26429/2016 में मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, लखनऊ बेंच, लखनऊ द्वारा पारित अंतिम आदेश दिनांक 12 मई, 2017 द्वारा उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम लि0 के निदेशक मण्डल द्वारा पारित प्रस्ताव की तिथि अर्थात दिनांक 28 मार्च, 2012 से निगम के कार्मिकों की सेवानिवृत्ति हेतु अधिवर्षता आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किये जाने के आदेश पारित किये गये हैं।
दस जिलों में ग्रामसमाज की जमीन कृषि विज्ञान केन्द्रों को दी जाएगी
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर के अन्तर्गत 12, फैजाबाद के अन्तर्गत 17, मेरठ के अन्तर्गत 13, बांदा के अन्तर्गत 06 इलाहाबाद के 01 कृषि विज्ञान केन्द्र सहित कुल 49 कृषि विज्ञान केन्द्र, राज्य कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत प्रदेश के विभिन्न जनपदों में संचालित है। 20 कृषि विज्ञान केन्द्र गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य शिक्षण संस्थानों के अधीन स्थापित एवं संचालित है। इस प्रकार प्रदेश में कुल 69 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित हैं।
सम्भल, अमरोहा, अमेठी, कासगंज, हरदोई एवं बहराइच में कृषि केन्द्र की स्थापना हेतु चिन्हित
आई0सी0आर0 नई दिल्ली द्वारा चयनित भूमि कृषि विभाग की तथा जनपद शामली, गोण्डा, जौनपुर तथा बदायूं की भूमि राजस्व विभाग की ग्राम सभा की भूमि है। इन भूमियों को कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना हेतु हस्तांतरित किए जाने के सम्बन्ध में कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा अनापत्ति प्रदान की गयी है। इसलिए इनसे आच्छादित भूमि (जनपद हरदोई की भूमि को छोड़कर) को कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना हेतु सम्बन्धित कृषि विश्वविद्यालयों के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरण किया जाना है। जनपद-हरदोई की भूमि को लीज के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की संस्था-आई0आई0पी0आर0 कानपुर को दी जानी है। सम्भल, अमरोहा, अमेठी, कासगंज, बहराइच, शामली, गोण्डा, जौनपुर तथा बदायूं में स्थापित होने वाले कृषि विज्ञान केन्द्र सम्बन्धित कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाना है तथा जनपद हरदोई में स्थापित होने वाला कृषि विज्ञान केन्द्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित होना है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश के कृषकों तथा कृषि से सम्बन्धित जन समुदाय को जागरूक तथा शिक्षित बनाने और प्रदर्शन, प्रशिक्षण, किसान मेला, गोष्ठी एवं सामयिक साहित्य प्रसार कार्याें से नवनी कृषि तकनीकों को पहुंचाना एवं उन्नत बीच उपलब्ध कराया जाना है।