गंदी सब्जियों के कीड़े से हो सकता है मिर्गी रोग, जानिए कैसे दिमाग में पहुंच जाता है ये कीड़ा
चिकित्सकों का कहना है कि मिर्गी रोग का पूर्ण इलाज संभव है। पिछले 21 वर्ष से चूरू में न्यूरोफिजिशियन्स के साथ एपिलेप्सी कैंप लगाने वाले डॉ. आर.के. सुरेका बताते हैं कि एपिलेप्सी (मिर्गी) का पूरा इलाज लेने से 60 प्रतिशत मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। ट्रीटमेंट तीन से पांच साल तक चलता है।
युवाओं में इस रोग के होने के कारण चोट लगना, दिमाग में मिर्गी के कीड़े (सिस्टीसरकोसिस), गंदी सब्जियों के कीड़ों, दिमाग की टी.बी., शराब और नशे की लत लगना है। मिर्गी के 20-30 फीसदी मामलों में बीमारी की जड़ का पता चल जाता है लेकिन 70-80 प्रतिशत केस में पता नहीं चल पाता कि रोग का कारण क्या है। यह बीमारी दो चरणों में हमला करती है – पहले तो 20 वर्ष की उम्र तक और दूसरे 50-60 साल की उम्र वालों में। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को मिर्गी के रोगियों को एक नॉर्मल पर्सन ही मानना चाहिए।
दौरा पड़े तो शांत रहें
मरीज को अचानक दौरा पड़े तो घबराने की जरूरत नहीं। उसे एक करवट से लिटा दें, मुंह में पानी, कपड़ा या चम्मच न डालें, आस-पास से नुकीली चीजें हटा लें व कसे हुए कपड़ों को ढीला कर दें। घेरकर खड़े न हों, हवा आने दें। ध्यान रखें कि मरीज अपनी जीभ न काट ले। आधे घंटे में यदि मरीज को बार-बार दौरे पड़े या होश न आए तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
क्या है मिर्गी
ब्रेन में विद्युत तरंगों के ज्यादा बनने से दौरा पड़ता है। बार-बार दौरे आते हैं, हाथ-पैर जकड़ जाते हंै और मुंह से झाग निकलने लगते हैं।
क्यों पड़ते हैं दौरे?
नींद की कमी
मासिक (हार्मोन स्तर में परिवर्तन)
जलती-बुझती तेज रोशनी
नशीली दवाएं। शराब पीना।
मिर्गी-रोगी का दवाओं का अचानक बंद कर देना।
भावनात्मक तनाव।
बुखार (शिशुओं और छोटे बच्चों में)
क्या न करें?
जूता, प्याज आदि ना सुंघाएं
मुंह पर पानी ना डालें
अंधविश्वास में झाड़-फूंक न करें
मुंह में कपड़ा न ठूसें
मरीज को पकड़े नहीं
रोग में बरतें यें सावधानियां
गंदे पानी में उगी सब्जियां व फलों से सिस्टीसरकोसिस नामक कीड़ा दिमाग में पहुंच सकता है। यह मिर्गी की बीमारी का एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा अफीम, शराब अधिक पीने से भी मिर्गी हो सकती है। दुपहिया चालकों को हेलमेट लगाकर ही गाड़ी चलानी चाहिए वर्ना सिर पर चोट लगने से भी दौरे पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं का प्रसव हमेशा प्रशिक्षित डॉक्टर से ही करवाना चाहिए ताकि शिशु को जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी ना हो। ऑक्सीजन की कमी से बच्चों में दौरे पड़ सकते हैं जो भविष्य में गंभीर स्थिति का कारण बनते हैं।