गगनयान अभियान में भारत की मदद करेंगे ये दो देश, भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को देंगे ट्रेनिंग
अंतरिक्ष क्षेत्र में दिनोंदिन नई ऊंचाई छू रहा भारत वर्ष 2022 में स्वदेशी तकनीक से भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने की योजना पर काम कर रहा है. 2022 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने गगनयान अभियान के तहत 3 भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा. भारत के इस महत्वाकांक्षी अभियान में रूस और फ्रांस भी मदद करेंगे.
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकोस्मोस भारत के कुल 4 अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष अभियान के लिए प्रशिक्षित करेगी. इन 4 में से 3 अंतरिक्षयात्रियों को गगनयान अभियान के तहत चांद पर भेजा जाएगा. इसके साथ ही फ्रांस भी भारत को गगनयान अभियान के लिए मदद मुहैया कराएगा. फ्रांस की ओर से भारतीय अंतरिक्षयात्रियों के स्वास्थ्स से संबंधित ट्रेनिंग दी जाएगी. यह ट्रेनिंग भारत और फ्रांस में होगी.
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकोस्मोस की सहायक एजेंसी ग्लैवकोस्मोस ने इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के साथ अनुबंध साइन किया है. इसके तहत भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को यूरी गागारिन कोस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. रूस और भारत के बीच यह सहयोग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की रूस की यात्रा के बाद सामने आया है. एनएसए अजित डोभाल ने पिछले दिनों मॉस्को में रॉस्कोस्मोस के डायरेक्टर जनरल दमित्री रोगोजिन से मुलाकात की थी.
रॉसकोस्मोस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार गगनयान के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट का एयरोडायनमिक्स टेस्ट, पायलट व्हीकल और क्रू रेस्क्यू सिस्टम पर भारत के साथ बातचीत हुई है. अगस्त 2019 के अंत तक इस अनुबंध के पूरा होने का अनुमान है. इस अनुबंध के तहत रूस की ओर से गगनयान अभियान में अंतरिक्षयान की खिड़कियां, क्रू की सीटें और स्पेससूट भी भारत को मुहैया कराया जाना है.
बता दें कि पीएम मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को 10 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियान गगनयान की घोषणा की थी. इसके तहत 3 भारतीयों को स्वदेशी तकनीक के जरिये अंतरिक्ष में भेजा जाना है. यह अभियान 7 दिनों का होगा. इस अभियान की सफलता के बाद भारत रूस, चीन और अमेरिका के बाद अंतरिक्ष में इंसान को भेजने वाला चौथा देश हो जाएगा. बता दें कि भारत ने 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया है. इसके तहत इसरो 7 सितंबर को चांद की उस जगह पर शोध यान उतारेगा, जहां आजतक कोई भी देश यान नहीं उतार पाया है.